अब पुराण, उपनिषद और ग्रंथ बनेंगे पढ़ाई का आधार, CSJMU Kanpur में बदला भूगोल का पाठ्यक्रम

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कॉलेजों में भूगोल के पाठ्यक्रम में पुराण और उपनिषद भी शामिल किए गए हैं। बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में यह फैसला लिया गया है और अब छह सेमेस्टर में पाठ्यक्रम पूरा कराया जाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 09:57 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 09:57 AM (IST)
अब पुराण, उपनिषद और ग्रंथ बनेंगे पढ़ाई का आधार, CSJMU Kanpur में बदला भूगोल का पाठ्यक्रम
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की बीओएस का फैसला।

कानपुर, जेएनएन। अभी तक छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों के लाखों छात्र विदेशी विशेषज्ञों की लिखी किताबों से भूगोल की पढ़ाई कर रहे हैं। अब उनके स्थान पर भारतीय पुराणों, उपनिषद और विभिन्न ग्रंथों में पृथ्वी, नदियों, पहाड़ों, ग्रह-नक्षत्रों, सौरमंडल, ब्रह्मांड आदि को लेकर दी गई जानकारी उनकी पढ़ाई का हिस्सा होगी। यह फैसला कुछ दिन पहले बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में लिया गया है। इसके साथ ही छात्रों को रिमोट सेंसिंग, जीआइएस, फिजिकल जियोग्राफी, इकोनामिक जियोग्राफी और ह्यूमन जियोग्राफी के विषय में भी बताया जाएगा। दरअसल, विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों में पिछले कई वर्षों से पुराना पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाता रहा है। मौजूदा सत्र से उसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं।

गंगा-यमुना से शहर की जलवायु और मिट्टी पर होगा अध्ययन

विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के संयोजक डा. जीएल श्रीवास्तव ने बताया छात्रों को गंगा व यमुना नदी की भौगोलिक स्थितियों का अध्ययन करवाया जाएगा। कानपुर इन दोनों नदियों के बीच स्थित है। इसलिए यहां की जलवायु, मिट्टी समेत कई अन्य जानकारियां छात्र-छात्राएं इस आधार पर ले सकेंगे।

एक साल में दो सेमेस्टर, प्रत्येक में थ्योरी और प्रैक्टिकल

बताया कि इसी सत्र से छात्रों के लिए सेमेस्टर सिस्टम लागू हो जाएगा। अभी तक उनकी बीए प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष में जहां एक परीक्षा होती थी, वहीं अब हर वर्ष में दो-दो सेमेस्टर होंगे। प्रत्येक सेमेस्टर में एक पेपर थ्योरी और एक प्रैक्टिकल का होगा। इस तरह तीन वर्षों में छह थ्योरी व छह प्रैक्टिकल कराए जाएंगे। इससे उन्हें बेहतर ढंग से जानकारियां मिल सकेंगी।

70 फीसद पाठ्यक्रम एक समान

विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किया जाने वाला 70 फीसद पाठ्यक्रम एक समान रहेगा। यह नियम सभी विषयों के लिए बनाया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से भी दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। भूगोल की बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में पाठ्यक्रम संबंधी कई बदलाव हुए हैं। इनकी जानकारी सभी प्राचार्यों को दे दी गई है। -डॉ. अनिल यादव, कुलसचिव, सीएसजेएमयू।

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