President Visit Kanpur: 18 साल बाद प्रेसीडेंशियल ट्रेन से यात्रा करेंगे राष्ट्रपति, जानिए-स्पेशल ट्रेन की खास बातें

इससे पहले वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. कलाम ने बिहार तक सफर किया था। अब पहली बार प्रेसीडेंशियल ट्रेन राष्ट्रपति को लेकर शहर आ रही है जिससे कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 08:53 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 08:53 AM (IST)
President Visit Kanpur: 18 साल बाद प्रेसीडेंशियल ट्रेन से यात्रा करेंगे राष्ट्रपति, जानिए-स्पेशल ट्रेन की खास बातें
कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर आकर ठहरेगी स्पेशल ट्रेन।

कानपुर, जेएनएन। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द 25 जून को जब अपनी प्रेसीडेंशियल ट्रेन से कानपुर पहुंचेंगे तो यह बेहद ही खास लम्हा होगा। कानपुर सेंट्रल स्टेशन के इतिहास के पन्नों में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा, क्योंकि पहली बार प्रेसीडेंशियल ट्रेन यहां पहुंचेगी। यह पल महत्वपूर्ण इसलिए भी होगा कि 18 साल बाद ऐसा क्षण आएगा, जब प्रेसीडेंशियल ट्रेन राष्ट्रपति को यात्रा पर लेकर निकलेगी।

उनके कार्यक्रम के दौरान तीन दिन तक सेंट्रल स्टेशन पर यह विशेष ट्रेन खड़ी रहेगी। हालांकि, इसे देख पाना संभव न होगा, क्योंकि इसकी सुरक्षा में राष्ट्रपति की सुरक्षा टीम मुस्तैद रहेगी। शहर में इस विशेष ट्रेन के पहली बार आगमन पर इसके बारे में जानने की उत्सुकता भी बढऩा लाजिमी है। बुलेट प्रूफ विंडो, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर आधुनिक सुविधा से लैस इस ट्रेन का इतिहास भी अनूठा है।

प्रेसीडेंशियल सैलून भी कहते हैं

राष्ट्रपति जिस ट्रेन से सफर करते हैं, उसे प्रेसीडेंशियल सैलून भी कहते हैं। यह ट्रेन की श्रेणी में नहीं आता है। चूंकि पटरियों पर ही इसे चलाया जाता है, इसलिए इसे प्रेसीडेंशियल ट्रेन भी कहते हैं। इसमें दो कोच होते हैं, जिनका नंबर 9000 व 9001 होता है। अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपति 87 बार इस सैलून का प्रयोग कर चुके हैं।

पहली बार डा. राजेंद्र प्रसाद और आखिरी बार डा. कलाम ने किया सफर

डा. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने वर्ष 1950 में दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर प्रेसीडेंशियल सैलून से किया था। डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डा. नीलम संजीवा रेड्डी ने इस सैलून से यात्राएं की थीं। 1960 से 1970 के बीच प्रेसीडेंशियल सैलून का प्रयोग नियमित तौर पर किया गया। 1977 में डा. नीलम संजीवा रेड्डी ने इस सैलून से यात्रा की। उसके करीब 26 साल बाद 30 मई 2003 को डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस सैलून से बिहार की यात्रा की थी।

ये हैं सुविधाएं : रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान प्रेसीडेंशियल सैलून सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। दो कोच के सैलून में बुलेट प्रूफ विंडो, जीपीआरएस सिस्टम, किसी भी समय जनता को संबोधित करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम, सेटेलाइट बेस्ट कम्युनिकेशन सिस्टम मौजूद है। डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लांज रूम, कांफ्रेंस रूम आदि की भी सुविधाएं हैं।

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