आसमान से सात टन वजन लेकर उतर सकेगी सेना, जानिए- हैवी ड्रॉप पी-7 पैराशूट की खासियत

आत्मनिर्भर भारत के तहत ओपीएफ ने एडीआरडीई के साथ मिलकर पी-7 पैराशूट विकसित किया है। आगरा के मालपुरा ड्रॉपिंग जोन में परीक्षण रहा सफल रहा है और अब सेना के जवान सात टन तक वजन के साथ आसमान से धरती पर उतर सकेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 08:39 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 08:39 AM (IST)
आसमान से सात टन वजन लेकर उतर सकेगी सेना, जानिए- हैवी ड्रॉप पी-7 पैराशूट की खासियत
आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित किया पैराशूट।

कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। भारतीय सेना को बहुत जल्द ऐसे पैराशूट मिलेंगे, जो आपात स्थिति में आसमान से मदद लेकर उतरेंगे। वायुयान और लड़ाकू विमानों में इनका इस्तेमाल कर भारी वाहन, युद्ध के दौरान हथियार और अन्य चीजें पहुंचाई जा सकेंगी। हालांकि, इनका इस्तेमाल फाइटर प्लेन तेजस में नहीं हो सकेगा, क्योंकि उनमें एक अलग सिस्टम से पैराशूट के इंतजाम रहते हैं। इस हैवी ड्रॉप पी-7 पैराशूट को आयुध पैराशूट निर्माणी (ओपीएफ) कानपुर ने आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) के साथ मिलकर विकसित किया है। आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित पी-7 देश के पहले ऐसे विशेष पैराशूट हैं, जो सात टन वजन तक का सामान कहीं भी दुर्गम स्थानों पर उतार सकते हैं। इनका ऊपरी कवर इस तरह से बनाया गया है कि कंटीले झाड़ और नुकीले पत्थर के बीच उतर जाएंगे। इनके निर्माण में स्पेशल नायलान फैब्रिक का इस्तेमाल हुआ है।

कई खासियतों से लैस है पैराशूट

भारतीय सेना की ओर से आगरा के मालपुरा ड्रापिंग जोन में सैन्य वाहन उतारकर पैराशूट का सफल परीक्षण पिछले दिनों किया जा चुका है। इस पैराशूट प्रणाली में पांच मुख्य कैनोपीज (पैराशूट का सबसे ऊपर का कपड़ा, जो हवा में फूलता है), पांच ब्रेक शूट (गति नियंत्रक), दो सहायक शूट (खोलने में सहायक) और एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट (ड्राप करते समय सरलता से जमीन पर उतारने में मददगार) का एक समूह शामिल है। आयुध निर्माणी बोर्ड के अपर महानिदेशक व सदस्य रजनीश लोडवाल के दिशा-निर्देश में इसे तैयार किया गया है।

वायुसेना को जल्द दो पैराशूट देने की तैयारी

ओपीएफ ने सफल परीक्षण के बाद हाल ही में वायुसेना को चार डीएमके-41 पायलट पैराशूट दिए हैं। ये पैराशूट पायलट के लिए बनाए गए हैं, जिससे वे आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग कर सकें। अब दो पी-7 पैराशूट भी जल्द दिए जाने की तैयारी है। इन्हें पायलट नियंत्रित कर सकेगा। ये यान की गति से संचालित होंगे। इसके लिए कंपोनेंट लगाए गए हैं।

ये पैराशूट भी बनाए जा चुके

- मैन कैरिंग पैराशूट

- सीट इजेक्शन पायलट पैराशूट

- सप्लाई ड्राप पैराशूट

- एरियल डिलीवरी सिस्टम

- एम्यूनेशन ड्राप पैराशूट

- ब्रेक पैराशूट

- इल्युमिनेटिंग एम्यूनेशन पैराशूट

- एयरोस्पोर्ट पैराशूट

- रिकवरी सिस्टम पैराशूट

- पायलट पैराशूट पैराशूट फैक्ट्री की स्थापना अक्टूबर 1941 में हुई थी। तब से अब तक 10 प्रकार के पैराशूट बनाए जा चुके हैं। पैराशूट जैसे क्रिटिकल प्रोडक्ट के उत्पादन में गुणवत्ता का ओपीएफ ने विशेष ध्यान रखा है। आधुनिकता के पुट के साथ नवीनतम तकनीकी से विश्वस्तरीय पैराशूट तैयार करने में उच्च गुणवत्ता मानकों को अपनाया जाता है। -अपूर्व मजूमदार, महाप्रबंधक, ओपीएफ।

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