दूसरी लहर में कानपुर में भी था घनघोर संकट, प्राणवायु के लिए इधर से उधर दौड़े लगा रहे थे मरीज

अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी और धीरे-धीरे अस्पताल फुल होने से मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे थे। यह वह दौर था जब उद्योगों को आक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी गई थी।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:41 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:41 AM (IST)
दूसरी लहर में कानपुर में भी था घनघोर संकट, प्राणवायु के लिए इधर से उधर दौड़े लगा रहे थे मरीज
आक्सीजन संकट जैसे ही सामने आया, सरकार ने तुरंत ट्रेन के जरिए कानपुर में आक्सीजन भेजी

कानपुर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पहले आक्सीजन की कमी को लेकर तमाम बयानबाजी हुईं और अब आक्सीजन की कमी से हुई मौतों के नाम पर सियासत हो रही है। इसमें भी सबके अपने दावे हैं। जहां विपक्षी दलों के नेता सरकार के दावे को गलत बता रहे हैं वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि आक्सीजन संकट जैसे ही सामने आया, सरकार ने तुरंत ट्रेन के जरिए कानपुर में आक्सीजन भेजी।

अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी और धीरे-धीरे अस्पताल फुल होने से मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे थे। यह वह दौर था जब उद्योगों को आक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी गई थी। 15 से 20 टन प्रतिदिन की मेडिकल आक्सीजन की मांग बढ़ते-बढ़ते 125 टन तक पहुंच चुकी थी। खुद मंडलायुक्त ने 125 टन आक्सीजन की खपत का पत्र शासन को भेजा था।

मई के दूसरे सप्ताह में ट्रेन से आक्सीजन आना शुरू हुई। इंडेन के कंटेनर में ट्रेन से आने वाली गैस स्टोर की जाती थी और आसपास के कई जिलों तक यहीं से भेजी जाती थी। इसी दौरान दो दर्जन से ज्यादा उद्यमी शहर में आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए आगे आए थे, लेकिन अभी तक कोई धरातल पर उतरता नहीं नजर आ रहा है। फिलहाल उद्योग विभाग के पास सिर्फ चार आवेदन बचे हैं।

इनमें से भी एक उद्यमी ने अपने पैर वापस खींच लिए, इसके पीछे भी कारण हैं। यह बात भी आ रही है कि हो सकता है कि तीसरी लहर न भी आए, इसे लेकर लोगों ने अपने हाथ आक्सीजन प्लांट से पीछे खींच लिए हैं। अब जब केंद्र सरकार ने कहा है कि आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई तो लोग इस बयान के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। नाम सामने लाए बिना चिकित्सकों का कहना है कि बहुत से लोगों की घरों में इलाज के दौरान आक्सीजन न मिलने से मौत हुई, वहीं बहुत लोग घर से अस्पताल तक जाने के दौरान आक्सीजन की कमी से जान गंवा बैठे। अस्पताल के बाहर भी बेड के इंतजार में बहुत से लोगों की मृत्यु हुई।

बोले चिकित्सक अचानक से केस बढ़ गए, जिससे आक्सीजन की खपत अधिक हो गई। संक्रमण की रफ्तार के आगे आक्सीजन का स्टाक कम पड़ गया। कालाबाजारी की वजह से समस्या ने विकराल रूप ले लिया। कई मरीजों की जान आक्सीजन की तुरंत व्यवस्था न होने से गई है।- डा. विकास शुक्ला, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन संक्रमण की दूसरी लहर की शुरुआत में आक्सीजन का संकट हुआ था, लेकिन शासन की ओर से उस पर जल्द काबू पा लिया गया। पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिन रात करके अस्पतालों को आक्सीजन का स्टाक पहुंचाया। - डा. एमके सरावगी, अध्यक्ष नर्सिंगहोम एसोसिएशन

उद्यमियों ने कहा

आक्सीजन प्लांट का काम 90 फीसद हो चुका है। बिना फाइनेंस इसे लगाया जा रहा है। जल निगम में एक करोड़ रुपये दो वर्ष से फंसा है, सोचा था वह मिल जाएगा और काम पूरा हो जाएगा, लेकिन अभी तक यह भुगतान नहीं मिला। इसकी वजह से काम रुका हुआ है।- अशोक सिंह, प्रबंध निदेशक अशोका इंडस्ट्रीज आक्सीजन प्लांट का काम पूरी तरह चल रहा है। दो-तीन दिन में इसका निर्माण शुरू हो जाएगा। अस्पताल में जो प्लांट लग रहा है, वह 250 से 320 लीटर प्रति मिनट की क्षमता का है। प्लांट से सीधे वार्ड और आइसीयू में आक्सीजन की पाइप लाइन जाएगी।- नरेंद्र गौतम, प्रबंधक एचआर प्रिया हास्पिटल, बर्रा

बोले राजनेता

अगर सरकार यह कह रही है कि आक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई तो अस्पतालों के बाहर बोर्ड क्यों लगे थे कि आक्सीजन नहीं है, अपने सिलिंडर लेकर आएं। जिनके प्रियजनों का निधन हो गया है, सरकार को कम से कम उनका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।- डा. इमरान, जिलाध्यक्ष सपा कानपुर नगर


कानपुर में कोरोना के दौरान त्राहिमाम की स्थिति थी। लोग आक्सीजन के लिए सिलिंडर लिए लाइन में लगे थे। रात में भी आक्सीजन प्लांट के बाहर लाइन लगती थी। बिना आक्सीजन बहुत सी मौत हुई हैं। सच को इस तरह से झुठलाना नाइंसाफी है। - शैलेंद्र दीक्षित, अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी दक्षिण कानपुर


पूरे देश में आक्सीजन की कमी थी। विदेशों से आक्सीजन मंगाई जा रही थी। आक्सीजन की कमी से बहुत से लोगों की मौत हुई है। शहर में सभी ने देखा है कि लोग किस तरह आक्सीजन पाने के लिए परेशान थे। 

                                                                       - रामशंकर कुरील, जिलाध्यक्ष, बसपा कानपुर


कोरोना के दौरान जैसे ही मरीजों की संख्या बढ़ी, आक्सीजन की मांग बढ़ी। सरकार ने तुरंत ही इसके लिए व्यवस्था करनी शुरू कर दी। शहर में आक्सीजन प्लांट पर अधिकारी तैनात किए जो सीधे हास्पिटल आक्सीजन भेज रहे थे। इसके अलावा तुरंत ट्रेन की व्यवस्था की गई ताकि आक्सीजन कानपुर आ सके।                                                             सुनील बजाज, अध्यक्ष, भाजपा उत्तर जिला कानपुर 

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