दूसरी लहर में कानपुर में भी था घनघोर संकट, प्राणवायु के लिए इधर से उधर दौड़े लगा रहे थे मरीज
अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी और धीरे-धीरे अस्पताल फुल होने से मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे थे। यह वह दौर था जब उद्योगों को आक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी गई थी।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पहले आक्सीजन की कमी को लेकर तमाम बयानबाजी हुईं और अब आक्सीजन की कमी से हुई मौतों के नाम पर सियासत हो रही है। इसमें भी सबके अपने दावे हैं। जहां विपक्षी दलों के नेता सरकार के दावे को गलत बता रहे हैं वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि आक्सीजन संकट जैसे ही सामने आया, सरकार ने तुरंत ट्रेन के जरिए कानपुर में आक्सीजन भेजी।
अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी और धीरे-धीरे अस्पताल फुल होने से मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे थे। यह वह दौर था जब उद्योगों को आक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी गई थी। 15 से 20 टन प्रतिदिन की मेडिकल आक्सीजन की मांग बढ़ते-बढ़ते 125 टन तक पहुंच चुकी थी। खुद मंडलायुक्त ने 125 टन आक्सीजन की खपत का पत्र शासन को भेजा था।
मई के दूसरे सप्ताह में ट्रेन से आक्सीजन आना शुरू हुई। इंडेन के कंटेनर में ट्रेन से आने वाली गैस स्टोर की जाती थी और आसपास के कई जिलों तक यहीं से भेजी जाती थी। इसी दौरान दो दर्जन से ज्यादा उद्यमी शहर में आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए आगे आए थे, लेकिन अभी तक कोई धरातल पर उतरता नहीं नजर आ रहा है। फिलहाल उद्योग विभाग के पास सिर्फ चार आवेदन बचे हैं।
इनमें से भी एक उद्यमी ने अपने पैर वापस खींच लिए, इसके पीछे भी कारण हैं। यह बात भी आ रही है कि हो सकता है कि तीसरी लहर न भी आए, इसे लेकर लोगों ने अपने हाथ आक्सीजन प्लांट से पीछे खींच लिए हैं। अब जब केंद्र सरकार ने कहा है कि आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई तो लोग इस बयान के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। नाम सामने लाए बिना चिकित्सकों का कहना है कि बहुत से लोगों की घरों में इलाज के दौरान आक्सीजन न मिलने से मौत हुई, वहीं बहुत लोग घर से अस्पताल तक जाने के दौरान आक्सीजन की कमी से जान गंवा बैठे। अस्पताल के बाहर भी बेड के इंतजार में बहुत से लोगों की मृत्यु हुई।
बोले चिकित्सक अचानक से केस बढ़ गए, जिससे आक्सीजन की खपत अधिक हो गई। संक्रमण की रफ्तार के आगे आक्सीजन का स्टाक कम पड़ गया। कालाबाजारी की वजह से समस्या ने विकराल रूप ले लिया। कई मरीजों की जान आक्सीजन की तुरंत व्यवस्था न होने से गई है।- डा. विकास शुक्ला, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन संक्रमण की दूसरी लहर की शुरुआत में आक्सीजन का संकट हुआ था, लेकिन शासन की ओर से उस पर जल्द काबू पा लिया गया। पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिन रात करके अस्पतालों को आक्सीजन का स्टाक पहुंचाया। - डा. एमके सरावगी, अध्यक्ष नर्सिंगहोम एसोसिएशन
उद्यमियों ने कहा
बोले राजनेता
कानपुर में कोरोना के दौरान त्राहिमाम की स्थिति थी। लोग आक्सीजन के लिए सिलिंडर लिए लाइन में लगे थे। रात में भी आक्सीजन प्लांट के बाहर लाइन लगती थी। बिना आक्सीजन बहुत सी मौत हुई हैं। सच को इस तरह से झुठलाना नाइंसाफी है। - शैलेंद्र दीक्षित, अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी दक्षिण कानपुर
पूरे देश में आक्सीजन की कमी थी। विदेशों से आक्सीजन मंगाई जा रही थी। आक्सीजन की कमी से बहुत से लोगों की मौत हुई है। शहर में सभी ने देखा है कि लोग किस तरह आक्सीजन पाने के लिए परेशान थे।
- रामशंकर कुरील, जिलाध्यक्ष, बसपा कानपुर
कोरोना के दौरान जैसे ही मरीजों की संख्या बढ़ी, आक्सीजन की मांग बढ़ी। सरकार ने तुरंत ही इसके लिए व्यवस्था करनी शुरू कर दी। शहर में आक्सीजन प्लांट पर अधिकारी तैनात किए जो सीधे हास्पिटल आक्सीजन भेज रहे थे। इसके अलावा तुरंत ट्रेन की व्यवस्था की गई ताकि आक्सीजन कानपुर आ सके। सुनील बजाज, अध्यक्ष, भाजपा उत्तर जिला कानपुर