कानपुर में साईं कथावाचक शुभ्रम बहल की भजनगंगा पर झूमे भक्त, कथा का भी किया वर्णन
शुभ्रम बहल ने सभी कहा शिरडी के सांइनाथ परम दयालु और भक्तवत्सल हैं। उनका स्मरण और उनका आश्रय शरणागत को अनेकानेक संकटों से मुक्त कर देता है। उन्होंने सभी भक्तों को बताया कि सांइनाथ का प्राकट्य शिरडी में 16 वर्ष की अवस्था में नीम के पौधे के नीचे हुआ था।
कानपुर, जेएनएन। कई जन्मों से बुला रहे हो, कोई तो रिश्ता जरूर होगा...। बिगड़े बनेंगे तेरे काम रे भज ले शिर्डीपति को...। जैसे ही साईं कथावाचक शुभ्रम बहल ने इन भजनों की प्रस्तुति दी तो उपस्थित सभी भक्त खुशी से झूम उठे। मौका था, आर्य नगर स्थित गैंजेज क्लब में वासुदेव साईं विश्व सेवा संस्थान की ओर से श्री सांइ समाधि दिवस पर आयोजित साईं कथा कार्यक्रम का।
उन्होंने सभी भक्तों से कहा शिरडी के सांइनाथ परम दयालु और भक्तवत्सल हैं। उनका स्मरण और उनका आश्रय शरणागत को अनेकानेक संकटों से मुक्त कर देता है। उन्होंने सभी भक्तों को बताया कि सांइनाथ का प्राकट्य शिरडी में 16 वर्ष की अवस्था में नीम के पौधे के नीचे हुआ था। उसके बाद बाबा ने अनेक लीलाएं व चमत्कार किए। 15 अक्टूबर 1918 में विजयादशमी के दिन साईंनाथ ने समाधि ग्रहण की थी। इस वर्ष भी विजयादशमी के दिन बाबा की समाधि दिवस का संयोग पड़ा।
मनुष्य जीवन का उद्देश्य सदैव प्रसन्न रहना है: साईंकथा वाचक शुभ्रम बहल ने कहा मनुष्य जीवन का उद्देश्य भगवान के चिदानंद स्वरूप की अवस्था तक पहुंचना और सदैव प्रसन्न रहना ही है। इसके लिए सत्संग और कृतज्ञता का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि यह विंडबना है कि मनुष्य सांसारिक वस्तुओं में प्रसन्नता खोजने लगता है और माया-मोह के पाश में फंसा रह जाता है। कथा के साथ ही जैसे ही उन्होंने कई भजनों की प्रस्तुति दी तो सभी ने तालियों से उनका उत्साहवर्धन किया। बीच-बीच में हुई फूलों की वर्षा से माहौल पूरा साइंमय हो गया। इस मौके पर साईंकथा वाचक शुभ्रम बहल ने मुख्य अतिथि महापौर प्रमिला पांडेय को व्यासपीठ से सम्मानित किया। यहां विनोद बहल, डा.एसके श्रीवास्तव, आदित्य पोद्धार, अशोक जौहरी, सुरभि द्विवेदी, माला सिंह, ज्योति शुक्ला, मंजु बागला, सोनिया अरोड़ा आदि उपस्थित रहीं।