कानपुर में चार हजार कारोबारियों ने लगा दिया 286 करोड़ रुपये का चूना, जानिए क्या है पूरा मामला
Income Tax News वित्तीय वर्ष 2017-18 में 53.80 करोड़ रुपये की आइटीसी ज्यादा निकाल ली गई। वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 69.27 करोड़ रुपये की आइटीसी ज्यादा निकाली गई। इसमें भी पहले पहले जहां 761 कारोबारियों ने यह खेल किया।
कानपुर, जेएनएन। वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 में कानपुर, उन्नाव और कानपुर देहात के चार हजार कारोबारियों ने 286 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का चूना लगा दिया है। जांच के बाद वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने इन व्यापारियों को तलाश कर अपने अधिकारियों को उनकी सूची भेजी है। अधिकारियों को इनकी जांच कर आइटीसी को वापस हासिल करना है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के समय कारोबारी जीएसटीआर 2ए में दिख रही आइटीसी से ज्यादा आइटीसी अपने टैक्स का भुगतान करते समय समायोजित कर लेते थे। जिस कारोबारी से वह माल खरीदते थे, जब वह अपनी जीएसटीआर 1 रिटर्न फाइल करता था तो खरीदार कारोबारी को अपने जीएसटीआर 2ए में वह आइटीसी दिखती थी जो उसने टैक्स के रूप में माल खरीदने वाले व्यापारी को चुका दी थी। बहुत से मामलों में कारोबारी यह कह कर 3बी रिटर्न फाइल करते समय ज्यादा आइटीसी ले लेते थे कि उनकी कई खरीद का जिक्र विक्रेता ने नहीं किया है। हालांकि इस तरह से ज्यादा आइटीसी लेने पर जीएसटी ने रोक लगा दी थी और यहां तक कर दिया गया कि जीएसटीआर 2ए में जितनी आइटीसी दिख रही हो, उसका पांच फीसद ही ज्यादा ले सकते हैं, लेकिन उससे पहले के वर्षों में कारोबारी ज्यादा आइटीसी ले चुके थे।
कानपुर में वाणिज्य कर कार्यालय से कानपुर नगर के अलावा उन्नाव और कानपुर देहात भी नियंत्रित होता है। यहां दो जोन हैं, जोन एक में कानपुर के अलावा उन्नाव व कानपुर देहात हैं तो जोन दो में सिर्फ कानपुर नगर के व्यापारी हैं। वाणिज्य कर विभाग ने जो आंकड़े अफसरों को भेजे हैं उसमें जोन एक में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 53.80 करोड़ रुपये की आइटीसी ज्यादा निकाल ली गई। वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 69.27 करोड़ रुपये की आइटीसी ज्यादा निकाली गई। इसमें भी पहले पहले जहां 761 कारोबारियों ने यह खेल किया वहीं अगले वर्ष 1,166 कारोबारियों ने जीएसटी को चूना लगाया। दूसरी ओर जोन दो में जहां पहले वर्ष 887 कारोबारी चिह्नित किए गए हैं, वहीं दूसरे वर्ष 1,265 कारोबारियों ने यह खेल कर दिया। इसमें पहले वर्ष 65.93 करोड़ तो दूसरे वर्ष 97.56 करोड़ रुपये की आइटीसी ज्यादा खरीद बताकर हड़प ली गई। अब वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने इन सभी कारोबारियों की सूची उनके अधिकारियों को भेजी है ताकि उन्होंने जो ज्यादा आइटीसी वसूल ली है, उसे विभाग वापस हासिल कर सके। करोड़ों की आइटीसी की वसूली के लिए विभाग ने भी अपने सभी अधिकारियों को लगा दिया है।