कानपुर में सफर हुआ मुश्किल, आइआइटी गेट से मोतीझील तक गड्ढाें की संख्या जानकर रह जाएंगे दंग

आइआइटी से मोतीझील तक सड़क पूरी तरह से टूट गई है। सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन को ही सड़क बनाना है लेकिन गड्ढों में पानी भरे होने का बहाना बनाकर अफसर चुप हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:38 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:38 PM (IST)
कानपुर में सफर हुआ मुश्किल, आइआइटी गेट से मोतीझील तक गड्ढाें की संख्या जानकर रह जाएंगे दंग
कल्याणपुर थाने के पास टूटी जीटी रोड ,जिसके कारण रुक-रुक कर चलता है यातायात।

कानपुर, जेएनएन। दोपहर के 12 बजे मोतीझील स्थित वाल्मीकि उपवन के सामने मायूस खड़े काकादेव निवासी 60 वर्षीय आनंद तिवारी लोगों से बनाने वाली दुकान की जानकारी कर रहे थे। हमने पूछा तो उन्होंने बताया कि गड्ढे में गिरने से साइकिल की रिम टेढ़ी हो गई है। पोते को लेने स्कूल जाना है पर मजबूर हूं। उनका यह दर्द देख हमने सड़क के गड्ढे देखने निकल पड़े। थोड़ी दूर बढ़े तो समझ में ही नहीं आया कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। काफी दूरी तक सड़क टूटी हुई मिली। यहां तो गड्ढा कितना लंबा है इसका अंदाजा लगाना कठिन है। हमारी बाइक हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ी। करीब 50 मीटर तक सड़क ठीक मिली, लेकिन जैसे- जैसे ही हम आगे बढ़ते गए गड्ढों की संख्या भी बढ़ती गई।  

मोतीझील से हम जब हैलट अस्पताल के सामने आए तो वहां भी बड़े- बड़े गड्ढे मिले। 11 भर बार हमने ब्रेक लगाया और क्लच दबाया। हैलट से आगे बढ़े तो नरेंद्र मोहन सेतु की सर्विस लेन से गोल चौराहा तक सड़क ठीक मिली, लेकिन जैसे ही हम रावतपुर आए तो फिर फिर बाइक की रफ्तार कम करनी पड़ी और गीता नगर  क्राङ्क्षसग तक यही स्थिति रही। अगल- बगल गुजरती कारें और बस रेंग कर चल रही थीं। हमें इस बात का भय था कि कहीं कार के नीचे आने के बाद उछलकर कोई पत्थर हमें या अन्य बाइक सवार को घायल न कर दे। इस दौरान धूल इतनी थी कि हेलमेट में भी आंखें खोलना मुश्किल हो रहा था। धूल की वजह से आंखों में जलन होने लगी। शारदा नगर क्राङ्क्षसग तक हमें कुछ छोटे- छोटे गड्ढे मिले। इसके बाद थोड़ा सुकून मिला क्योंकि आधी सड़क ठीक थी, लेकिन वाहनों से बचने के लिए हमें बचकर चलना पड़ रहा था, क्योंकि वाहन चालक टूटी सड़क से बचने के लिए इसी पतली सी ठीक सड़क पर ही चल रहे थे। बगिया क्राङ्क्षसग से बिठूर तिराहे तक सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे थे। कई बार हम गिरते हुए बचे। उसके आगे सड़क ठीक मिली। आइआइटी के आगे जहां मेट्रो का अंतिम पिलर है हम वहां से मुड़े। मुड़ते ही गड्ढों ने हमारा स्वागत किया। सड़क पर इतने गड्ढे थे कि यहां हमारी बाइक के साथ ही अन्य वाहनों की रफ्तर 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की हो गई। इससे जरा भी रफ्तार तेज करते तो गिर जाते। बिठूर तिराहे तक यही स्थिति थी। गड्ढे तो दर्द दे ही रहे थे तक अतिक्रमण ने भी हमें परेशान किया। उबड़- खाबड़ सड़क की वजह से कमर और गर्दन में दर्द होने लगा। बिठूर तिराहे से आगे थोड़ा राहत मिली, लेकिन इंद्रा नगर तिराहे पर तो सड़क उबड़ खाड़ब मिली। वहां से गीता नगर क्राङ्क्षसग तक थोड़ा सुकून था, लेकिन उसके बाद तो लगा कि बाइक किनारे खड़ी कर दें और पैदल ही गंतव्य तक चले जाएं। वहां से मोतीझील तक का सफर तो और ज्यादा मुसीबत वाला रहा।

इनका ये है कहना:  मेट्रो रेल कारपोरेशन ने पत्र लिखकर कहा है कि जल निकासी न होने से सड़क पर पानी भर रहा है इस वजह से सड़क निर्माण नहीं हो पा रहा है। हमने उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि मेट्रो के कार्य से पूर्व में सड़क के दोनों तरफ केसी ड्रेन, डीप ड्रेन और नाले आदि बने हुए थे। कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। नाले में निर्माण सामग्री भर गई है। उसे साफ कराकर सड़क बना लें। - एसके सिंह, मुख्य अभियंता नगर निगम मेट्रो आइआइटी से मोतीझील तक सड़क बनाने जा रही है। इसलिए डीएम, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा है कि खराब ड्रेनेज सिस्टम सही कर लें ताकि बनने के बाद सड़क जल्द न खराब हो। नगर निगम से भी कहा है कि सड़क के दोनों तरफ जलनिकासी ना होने से बारिश का पानी नहीं निकल पाता। इससे मरम्मत की गई सड़क भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। - पंचानन मिश्रा, उप महाप्रबंधक व जनसंपर्क अधिकारी। मेट्रो रेल कारपोरेशन और अन्य सभी विभागों से 15 नवंबर तक सड़कों को गड्ढा मुक्त करने और बनाने के लिए कहा है। निरीक्षण भी कर रहा हूं। मोतीझील से आइआइटी तक की सड़क का निरीक्षण करूंगा। - डा. राजशेखर, मंडलायुक्त 

chat bot
आपका साथी