आइआइटी की प्रोफेसर को यूएसए में मिला ब्लैकवेल रोसेनब्लूथ अवार्ड, विशेषज्ञों के लिए वरदान बना उनका शोध

आइआइटी की प्रोफेसर दूतिका वत्स एशिया में अकेली हैं जिनके नाम का डंका विदेश में बज रहा है। सांख्यिकी व कंप्यूटेशनल माडल के मार्जिनल एरर पर काम कर रही प्रोफेसरको यूएस में अवार्ड मिलने से संस्थान में खास चर्चा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 08:55 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 08:55 AM (IST)
आइआइटी की प्रोफेसर को यूएसए में मिला ब्लैकवेल रोसेनब्लूथ अवार्ड, विशेषज्ञों के लिए वरदान बना उनका शोध
एशिया भर में एकमात्र प्रोफेसर ने पाया अवार्ड।

कानपुर, जेएनएन। आइआइटी कानपुर का डंका एक बार फिर विदेश में बज रहा है। संस्थान की असिस्टेंट प्रोफेसर दूतिका वत्स ने यूएस में देश का परचम फहराया है और वह पूरे एशिया में एकमात्र प्रोफेसर हैं, जिन्हें ब्लैकवेल रोसेनब्लूथ अवार्ड से नवाजा गया है। उन्होंने सांख्यिकी, कंप्यूटेशन और मैथमेटिकल माडलिंग में आने वाली मार्जिनल एरर (न के बराबर त्रुटि) पर कार्य किया है। उनका शोध दूसरी फील्ड पर काम कर रहे विशेषज्ञों के लिए वरदान साबित हुआ है। उनकी उपलब्धि से संस्थान और देश का नाम विदेश एक बार फिर रोशन हुआ है। संस्थान में बधाई के साथ उनकी चर्चा भी खास हो गई है।

प्रोफेसर को यूएसए की जूनियर इंटरनेशनल सोसाइटी फार बायेसियन एनालिसिस की ओर से ब्लैकवेल रोसेनब्लूथ अवार्ड से नवाजा गया है। यह उपलब्धि एशिया में सिर्फ उन्हें ही मिली है। उनके अलावा यूएसए के दो, इंग्लैंड के दो और कनाडा के एक विशेषज्ञ को यह उपलब्धि हासिल हुई है। प्रो.वत्स की विशेषज्ञता मार्कोव चेन मौंटे कारलो एल्गोरिथम पर है। उन्होंने संस्थान के गणित और सांख्यिकी विभाग को 2019 में ज्वाइन किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए इन मैथमेटिक्स की डिग्री हासिल की। एमएस की पढ़ाई रूटगर्स यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी और पीएचडी की डिग्री यूनिवर्सिटी आफ मिनिसोटा से प्राप्त की। 2017 से दो वर्ष तक यूके में स्टेटिस्टिक्स पर पोस्ट डाक्टरल किया।

प्रो.वत्स की स्कूली शिक्षा वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर अवधपुरी से हुई है। उनके पिता आइआइटी के प्रोफेसर हैं। गणित की प्रोफेसर की कामयाबी पर निदेशक प्रो.अभय करंदीकर ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। संस्थान के कई अन्य फैकल्टी की ओर से भी उन्हें शुभकामनाएं संदेश मिले हैं।

बेहद छोटे एरर से परिणाम में आता है अंतर : असिस्टेंट प्रोफेसर दूतिका वत्स के मुताबिक मैथमेटिकल और स्टेटिस्टिकल माडङ्क्षलग के परिणाम में कई बार बेहद छोटे एरर होते हैं। यह न के बराबर रहते हैं, लेकिन इसका अंतर रिजल्ट को प्रभावित करता है। मार्कोव चेन, मोंटेकार्लो एल्गोरिथम के माध्यम से वह बेहद छोटे एरर पर काम कर रही हैं।

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