IIT Kanpur ने तैयार किया खास किस्म का रोबोट, गैस पाइपलाइन से हादसे की आशंका पर करेगा अलर्ट

गैस लाइन फूट जाने पर रिसाव शुरू हो जाता है और आबादी वाले क्षेत्रों में अफरातफरी की स्थिति हो जाती है। सूचना मिलने पर टीम सेफ्टी वाल्व से गैस सप्लाई रोकती है। इन स्थितियों से निपटने के लिए गेल ने सुरक्षा तंत्र मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 06:39 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 06:39 PM (IST)
IIT Kanpur ने तैयार किया खास किस्म का रोबोट, गैस पाइपलाइन से हादसे की आशंका पर करेगा अलर्ट
आइआइटी कानपुर में खास किस्म का रोबोट तैयार करने वाली टीम की फोटो।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। बहुत जल्द देश में प्राकृतिक गैस की सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी रोबोट निभाने वाला है। पाइपलाइन के भीतर गैस से चार्ज होकर ये 10 किलोग्राम वजनी रोबोट किसी खतरे पर मानीटरिंग सेंटर को फौरन अलर्ट जारी करेगा। गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) से मिले पांच करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने इसे तैयार किया है। 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाला ये रोबोट 1300 किमी की पूरी लाइन की मानीटरिंग करने में सक्षम होगा। इस पूरे सफर को वह सात से आठ दिन में पूरा करेगा।  

दरअसल कई बार गैस पाइप लाइन फूट जाने पर रिसाव शुरू हो जाता है और आबादी वाले क्षेत्रों में अफरातफरी की स्थिति हो जाती है। सूचना मिलने पर टीम सेफ्टी वाल्व से गैस सप्लाई रोकती है। इन स्थितियों से निपटने के लिए गेल ने सुरक्षा तंत्र मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए और आइआइटी से संपर्क साधा।  

आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य और उनकी टीम ने रोबोट को डिजायन किया। इसे उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत तैयार हुआ है। इसके लिए पहले गैस पाइन लाइन और उसके मानीटरिंग सिस्टम को परखा गया। प्रो. बिशाख का दावा है कि इसमें पहली बार टच सेंसर का इस्तेमाल हुआ है। यह देश में अब तक रोबोट के निर्माण में नहीं किया गया है।

एलईडी-एलडीआर तकनीक से लैस: प्रो.बिशाख ने बताया कि रोबोट में एलईडी-एलडीआर तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। यह सेंसर की तरह से काम करता है। किसी भी तरह का छोटे सा छोटा परिवर्तन होते ही यह सक्रिय हो जाते हैं। इसमें चुंबकीय तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जैसा कई विकसित देशों में किया जा रहा है। गति को स्वयं नियंत्रित करने में सक्षम रोबोट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग का इस्तेमाल हुआ है, जिससे निर्णय लेने में प्रभावी है।

40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार: रोबोट में पहिए लगे हैं। यह अधिकतम 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है। मानीटरिंग सेंटर से जुड़कर संबंधित क्षेत्र को वह सूचनाएं देता जाएगा। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर, उप निदेशक प्रो. एस गणेश, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एचआर हरीश समेत अन्य अधिकारियों ने रोबोट को लेकर टीम को बधाई दी है।

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