IIT Kanpur का मोबाइल एप खोजेगा डिस्लेक्सिया पीड़ित, 10 हजार छात्रों पर परीक्षण की तैयारी

आइआइटी के ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजभूषण और उनकी टीम ने सॉफ्टवेयर तैयार किया है। शहर के कई स्कूलों के छात्रों पर इसका परीक्षण किया। अब अभियान चलाकर शिक्षा विभाग की मदद से डिस्लेक्सिया के छात्रों का पता लगाया जाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 09:48 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 09:48 AM (IST)
IIT Kanpur का मोबाइल एप खोजेगा डिस्लेक्सिया पीड़ित, 10 हजार छात्रों पर परीक्षण की तैयारी
कानपुर आइआइटी और शिक्षा विभाग मिलकर अभियान शुरू करेंगे।

कानपुर, जेएनएन। आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सॉफ्टवेयर और एप से डिस्लेक्सिया के छात्र खोजेंगे। यह अभियान सीएसआर फंड और निजी कंपनी के सहयोग से चलाया जाएगा। 10 हजार छात्रों पर परीक्षण की योजना तैयार की गई है। कानपुर देहात, कन्नौज, उन्नाव तक टीम जाएगी। इस काम में शिक्षा विभाग की भी मदद ली जाएगी।

संस्थान के ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजभूषण और उनकी टीम ने पिछले साल जनवरी में ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया था, जिससे पांच से 10 साल तक के बच्चों को उनकी लिखावट के आधार पर डिस्लेक्सिया की पहचान करना आसान हो जाता है। उन्होंने शहर के कई स्कूलों के छात्रों पर इसका परीक्षण किया तो 64 छात्र इस समस्या से ग्रसित पाए गए।

विशेषज्ञों ने हिंदी वर्णमाला, स्वर और व्यंजन को आधार बनाते एप को विकसित किया। इस एप में सबसे पहले स्क्रीन पर काले रंग का अक्षर बना नजर आता है, जबकि उसके बगल में ही दो रंगबिरंगे डॉट्स (बिंदु) बने रहते हैं। छात्र को उसी डॉट्स की मदद से अक्षर बनाना होता है। अगर अक्षर सही बना तो काले अक्षर का रंग बदलकर पीला हो जाता है। दूसरे चरण में छात्र को जिगजैग पजल्स दिए जाते हैं, जबकि तीसरे चरण में उसे शब्द और मात्रा पर पहचान करना होता है। प्रो. ब्रजभूषण ने बताया, अभियान के लिए बड़ी टीम की जरूरत है। प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।

क्या है डिस्लेक्सिया

विशेषज्ञों के मुताबिक डिस्लेक्सिया बीमारी में छात्रों को अक्षर की पहचान करना और उसे लिखने में कठिनाई होती है। ऐसे छात्रों का बौद्धिक स्तर काफी तेज रहता है, जबकि उसकी खराब लिखावट व एकाग्रता में कमी को देखकर उसे कमजोर समझा जाता है।

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