शोध का आइडिया लाएं, मिलेगी 50 लाख तक की मदद, बायोटेक्नोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल करेगा सहयोग

आइआइटी के इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर में शोधकर्ता को 18 महीने के अंदर आइडिया या प्लान का प्रोटोटाइप माडल तैयार करना है। इसमें संस्थान के विशेषज्ञ पूरी मदद करेंगे। इसके जरिए रोबोटिक हाथ-पैर व अन्य अंग खेती के मददगार सेंसर और चिकित्सा उपकरण से जुड़े नए शोधों को बढ़ावा मिलेगा

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 08:44 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 08:44 AM (IST)
शोध का आइडिया लाएं, मिलेगी 50 लाख तक की मदद, बायोटेक्नोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल करेगा सहयोग
बायोटेक्नोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल की मदद से 50 लाख रुपये तक की ग्रांट मिलेगी

कानपुर(शशांक शेखर भारद्वाज)। कोरोना काल ने शोध की महत्ता समझाई तो अब तकनीकी संस्थान इसे खूब प्रोत्साहन दे रहे हैैं। चिकित्सा, पर्यावरण, कृषि क्षेत्र, रोबोटिक कृत्रिम अंग निर्माण, स्वास्थ्य क्षेत्र में नवीनतम तकनीक, दवा और उपकरण विकसित करने तथा शोधाॢथयों की मदद के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने हाथ बढ़ाए हैैं। यहां कोई भी छात्र, शोधार्थी और तकनीकी स्टाफ आइडिया दे सकता है। इसे पसंद किया गया तो बायोटेक्नोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआइआरएसी) की मदद से 50 लाख रुपये तक की ग्रांट मिलेगी।

आइआइटी के इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर में शोधकर्ता को 18 महीने के अंदर अपने आइडिया या प्लान का प्रोटोटाइप माडल तैयार करना है। इसमें संस्थान के विशेषज्ञ पूरी मदद करेंगे। इसके जरिए रोबोटिक हाथ-पैर व अन्य अंग, खेती के मददगार सेंसर और चिकित्सा उपकरण से जुड़े नए शोधों को बढ़ावा मिलेगा। इस कार्यक्रम का नाम बायोटेक्नोलाजी इग्निशन ग्रांट (बिग) रखा है। आवेदकों के लिए योग्यता व अन्य दिशा निर्देश जारी कर इसमें शामिल होने की अंतिम तारीख 15 सितंबर रखी गई है।

इन क्षेत्रों में विकसित होगी तकनीक

चिकित्सा क्षेत्र : जीवित कोशिकाओं या जीवों से बनी जटिल दवाएं, इंप्लांट के लिए उपकरण तैयार करना,चिकित्सीय उपकरण, पेसमेकर की तरह शरीर के अंदर इंप्लांट होने वाले कृत्रिम उपकरण, रोबोटिक्स पर आधारित कृत्रिम हाथ पैर

पौधे, पशु और जलीय जंतु : पौधों, पशुओं और जलीय जंतुओं की सुरक्षा, प्रजातियों को विकसित करना, संरक्षित करने की तकनीक

कृषि तकनीक : फसलों की मानीटरिंग, खेतों में सेंसर लगाना, कृषि क्षेत्र की मशीनें, बीज रोपण से लेकर कटाई तक की तकनीक

पर्यावरण : पर्यावरण की सुरक्षा पर काम, जल, वायु, मृदा आदि क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए तकनीक का विकास किया जाएगा।

उद्योग : कई तरह के रसायन तैयार करना, उद्योगों के लिए उत्पाद तैयार करने की तकनीक, कुदरती तरीके से कई उत्पाद बनाना

बायोइनफार्मेटिक्स : जैविक डेटा को समझने के तरीके और सॉफ्टवेयर उपकरण बनाने की तकनीक, मशीन प्लानिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग

ये कर सकते आवेदन स्नातक शोधकर्ता अन्वेषक सीनियर रिसर्च फेलो पीएचडी शोधार्थी पोस्ट डाक (पीएचडी के एक साल बाद शोध करने वाले) अंतिम सेमेस्टर के छात्र स्वतंत्र अन्वेषक, वैज्ञानिक भावी उद्यमी

एचबीटीयू भी कर चुका पहल : कुछ दिन पहले ही हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) ने भी ऐसी ही पहल की थी। इसमें छात्रों के आइडिया को इंडस्ट्री तक ले जाने की घोषणा की गई थी। यहां इनोवेशन सेंटर में ईजाद तकनीक को स्टार्टअप के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन स्तर पर 10 लाख रुपये तक मदद दिलाने की बात कही गई थी।

इनका ये है कहना स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर और बायोटेक्नोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में तकनीक विकसित की जाएगी। इसमें आइआइटी के विशेषज्ञ शोधकर्ता की मदद करेंगे। -                   प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय, इंचार्ज स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर, आइआइटी

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