IIT Kanpur का 62 वर्षों का सफर, 700 रिसर्च का पेटेंट और जमीं पर उतरीं 120 तकनीक
आइआइटी कानपुर में स्थापना से अबतक आम से खास तक के लिए कई उत्पाद बनाए। यहां पर विकसित की गई तकनीक का नहीं सानी नहीं है अबतक प्रदूषण की निगरानी को सेंसर से लेकर मेडिकल डिवाइस तक बनाई है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर कानपुर आइआइटी के कीर्तिमान न याद किए जाएं, ये संभव नहीं है। इसने देश को वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और तकनीशियन दिए। यहां के होनहार विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में दुनिया भर में अपना सिक्का भी जमा रहे हैं। इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर में विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकसित उपकरणों से सीधे आम आदमी को फायदा मिल रहा है। वर्ष 1959 में आइआइटी की स्थापना से लेकर अब तक 62 वर्षों में 700 शोध कार्यों व तकनीक का पेटेंट कराया जा चुका है, जबकि 120 तकनीक पर जमीनी स्तर पर काम भी शुरू है।
प्रदूषण की स्थिति पता लगाना हुआ आसान
सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर मुकेश शर्मा ने प्रदूषण मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया है, जिससे पूरे देश में प्रदूषण और पर्यावरण की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। इस उपकरण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम समॢपत किया है। पहले हवा में पीएम-2.5 व पीएम-10 का अलग-अलग स्थानों पर पता लगाना मुश्किल होता था, लेकिन ये उपकरण पल में जानकारी देता है।
दो मिनट में जानिए शुगर और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा
केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर निशीथ वर्मा के निर्देशन में रिसर्च स्कॉलर हैदर अली ने ऐसी इलेक्ट्रोड स्ट्रिप डिवाइस बनाई है, जो दो मिनट में शुगर, क्रिएटनिन व कोलेस्ट्रॉल की स्थिति बताती है। इन तीनों जांचों को महज 50 एमएल खून के सैंपल की जरूरत होती है। डिवाइस बनाने को कोलकाता की आरोग्य कंपनी से बात चल रही है।
ब्रेन स्कैनर से हेमरेज व स्ट्रोक का चलता पता
इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की पूर्व विज्ञानी शिल्पा मलिक ने ब्रेन स्कैनर विकसित किया है, जो दो मिनट में ब्रेन हैमरेज व ब्रेन स्ट्रोक का पता लगाता है। हेयर ड्रायर की तरह सिर पर घुमाते ही ये जानकारी देता है।
साइबर सिक्योरिटी और स्टार्टअप को लेकर शोध केंद्र
आइआइटी के सी-3 आइ के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में शोध और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए यहां ऐसा केंद्र बनेगा, जहां छात्र से लेकर प्रोफेसर मिलकर शोध कार्य करेंगे। इसमें ऐसे उपकरण होंगे, जो देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में हैं।
आइआइटी से जुड़े कुछ खास तथ्य 1959 में आइआइटी कानपुर की स्थापना हुई। 1968 में प्रो सीएनआर राव को मिला शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड। 2000 में सिडबी इनोवेशन व इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित हुआ। 2019 में टेक्नोपार्क की स्थापना की गई। 2021 में साइबर सेल व सी-3 आई हब की स्थापना। 27 प्रोफेसरों और पूर्व छात्रों को अब तक मिला शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड।