IIT Kanpur में बनेगा चंद्रकांता केसवन सेंटर फार एनर्जी, मां के नाम पर 2.5 मिलियन डालर देंगे पूर्व छात्र
आइआइटी कानपुर में जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के समाधान के लिए तथा नीति बनाने वालों की मदद के लिए चंद्रकांता केसवन सेंटर फार एनर्जी की स्थापना करने की कवायद शुरू की गई है जिसमें पूर्व छात्र मदद करने के लिए आगे आए हैं।
कानपुर, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के समाधान के साथ ही नीति निर्माताओं की मदद के लिए आइआइटी में चंद्रकांता केसवन सेंटर फार एनर्जी पालिसी एंड क्लाइमेट साल्यूशंस की स्थापना होगी। इसका उद्देश्य दुनिया को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी और नीतिगत समाधान का विकास करना रहेगा। इसे पुरातन छात्र सुधाकर केसवन की मां के नाम पर तैयार किया जाएगा। उन्होंने सेंटर के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डालर के सहयोग का आश्वासन दिया है। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने केंद्र के बनने को लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण संबंधित समस्याओं के लिए और बेहतर काम किया जा सकेगा। सुधाकर केसवन 1976 बैच के एल्युमिनाई हैं। उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया है। केंद्र के गठन के लिए संस्थान के अधिकारियों और एल्युमिनाई के बीच 15 जुलाई को करार हो चुका है।
मास्टर्स प्रोग्राम होगा चालू : केंद्र में एनर्जी टेक्नोलाजी एंड पालिसी और एनर्जी टेक्नोलाजी इकोनामिक्स पर मास्टर्स प्रोग्राम संचालित किया जाएगा। संस्थान के सहयोग से जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार हो सकती है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर होगी चर्चा : राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्थायी ऊर्जा समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा सकेगी। तमाम शिक्षाविदों, प्रोद्योगिकीविदों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को शामिल किया जाएगा।
कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया था डा. चंद्रकांता ने
डा. चंद्रकांता केसवन का जन्म 1918 में हुआ था। उन्होंने दिल्ली में जामा मस्जिद के बगल में इंद्रप्रस्थ गल्र्स स्कूल से पढ़ाई की थी। 1933 ङ्क्षहदू कालेज में बीएससी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री ली। 1938 में भौतिकी में डाक्टरेट की उपाधि के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था। पीएचडी के बाद लाहौर के महिला कालेज में लेक्चरर के रूप में दो साल तक पढ़ाया। इसके बाद उन्होंने कई कालेजों में शिक्षाविद के रूप में कार्य किया। वर्ष 2004 में उनका निधन हो चुका है।