कानपुर में कोरोना काल में अगर आपको बेड मिल गया तो समझ लो जीत ली आधी जंग
रेफरल लेटर दे देते हैं लेकिन असली जद्दोजहद शुरू होती है कोविड अस्पताल के दरवाजे पर। जिला प्रशासन ने शहर के कई निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया है लेकिन इन अस्पतालों में जगह नहीं है। हर एक अस्पताल मरीजों से फुल हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोविड संक्रमण के हालात किसी से छिपे नहीं है। अस्पतालों में जगह नहीं है और है तो ऑक्सीजन की कमी है। ऐसे में एक-एक बेड के लिए हजारों लोग जद्दोजहद कर रहे हैं और लाइन में लगे हैं। इस जद्दोजहद के बीच जिसे बेड मिल गया तो समझों उसने जिंदगी की आधी जंग जीत ली।
कोविड कंट्रोल सेंटर पर आने वाली बेड, ऑक्सीजन की मांग पर कर्मचारी तीमारदारों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हेंं रेफरल लेटर दे देते हैं लेकिन असली जद्दोजहद शुरू होती है कोविड अस्पताल के दरवाजे पर। जिला प्रशासन ने शहर के कई निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया है लेकिन इन अस्पतालों में जगह नहीं है। हर एक अस्पताल मरीजों से फुल हैं। इसके अतिरिक्त अस्पतालों के बाहर तीन से चार मरीज स्ट्रेचर पर लाइन में लगे खड़े हैं। इन हालातों से डरे अस्पताल संचालक बुधवार को जिलाधिकारी से मुलाकात करने पहुंचे और हालात बताएं। अस्पताल संचालकों के मुताबिक कोविड कंट्रोल रूम से उतने ही मरीज भेजें जाएं जितने मरीजों को रखने की व्यवस्था अस्पताल में हो। कंट्रोल रूम से कर्मचारी रेफरल रेटर दे देते हैं और इसका खामियाजा अस्पताल संचालक को भुगतना पड़ता है। ऐसा तभी संभव होगा जबकि एक अधिकारी सभी अस्पतालों से समन्वय बनाकर रखे और हर दिन का रिकार्ड दुरुस्त करे कि कहां बेड खाली हैं और कहां नहीं। इसके साथ ही वेंटीलेटर, आइसीयू की स्थिति से भी वह वाकिफ रहें ताकि अस्पताल संचालकों को कोई समस्या न बर्दाश्त करनी पड़े।