ICSE Result : डाक्टर, इंजीनियर और आइएएस बनने तक का सपना, जानिए- क्या हैं मेधावियों के अरमान

आइसीएसई व आइएससी के रिजल्ट आने के बाद मेधावियों ने सपनों की उड़ान भरनी शुरू कर दी है। बेहतर अंक पाकर अब छात्र-छात्राओं ने भविष्य का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया है इसमें कोई डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना रखता तो कोई आइएएस बनना चाहता है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 01:56 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 05:23 PM (IST)
ICSE Result : डाक्टर, इंजीनियर और आइएएस बनने तक का सपना, जानिए- क्या हैं मेधावियों के अरमान
कानपुर में मेधावियों ने भरी सपनों की उड़ान।

कानपुर, जेएनएन। आइसीएसई व आइएससी के नतीजे घोषित हो गए। छात्र-छात्राओं ने अपने शानदार प्रदर्शन से खूब अंक हासिल किए। अब इन मेधावियों का कहना है कि वह आइएएस, आइपीएस बनना चाहते हैं। कई मेधावी ऐसे हैं जो चिकित्सक बनकर जरूरतमंद मरीजों की मदद करना चाहते हैं तो कुछ इंजीनियर तो कुछ शोध करने के इच्छुक हैं। छात्र छात्राओं ने अपनी इस सफलता का श्रेय गुरुजनों व माता-पिता को दिया। प्रस्तुत है छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन को लेकर उनसे की गई बातचीत।

पढ़ाई संग श्रेया घोषाल के गाने सुनना पसंद, बनना है इंजीनियर

पढ़ाई के अलावा मुझे श्रेया घोषाल के गाने सुनना बहुत पसंद है। शनिवार को यह बात कही डा. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर अवधपुरी में 12वीं की छात्रा सताक्षी मिश्रा ने। सताक्षी ने 12वीं के परिणाम में 99.75 फीसद अंक हासिल किए। सताक्षी ने बताया कि परीक्षाएं न होने से मायूसी जरूर हुई, हालांकि परिस्थितियों को देखते हुए काउंसिल का फैसल सही था। बोलीं, भविष्य में साफ्टवेयर इंजीनियर बनना है। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से दूर रहने वालीं सताक्षी को बैडङ्क्षमटन खेलना खूब भाता है। सताक्षी के पिता सत्येंद्र मिश्रा सीए व माता सौरभि मिश्रा निजी स्कूल में शिक्षिका हैं। सताक्षी को गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान व कंप्यूटर साइंस में 100 अंक मिले।

घर में बैठकर काम नहीं करना है, बनना है सिविल इंजीनियर

मुझे घर पर बैठकर काम नहीं करना है, इसलिए मैंने फैसला किया है कि सिविल इंजीनियर बनूंगी। यह बात डा. वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर अवधपुरी में 12वीं की छात्रा अनन्या त्रिवेदी ने कही। अनन्या ने 12वीं के परिणाम में 99.75 फीसद अंक हासिल किए। 10वीं में 96.2 फीसद अंक हासिल करने वाली व आरएस पुरम निवासी अनन्या ने बताया कि पढ़ाई के अलावा अरिजित सिंह व श्रेया घोषाल के गाने सुनना अच्छा लगता है। अनन्या के पिता जेपी त्रिवेदी एलआइसी में प्रशासनिक अधिकारी हैं, जबकि माता अलका त्रिवेदी सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। अनन्या ने गणित, भौतिकी व रसायन विज्ञान में 100 अंक हासिल किए।

चुनौती लेना पसंद, बनना चाहती मैकेनिकल इंजीनियर

वीरेंद्र स्वरूप पब्लिक स्कूल कैंट की छात्रा देवांशी गुप्ता ने आइएससी 12वीं की परीक्षा में 99.6 फीसद अंक पाकर शहर के मेधावियों में अपनी जगह बनाई है। उनके गणित, रसायन विज्ञान व कंप्यूटर साइंस में सौ फीसद अंक हैं जबकि भौतिक विज्ञान व अंग्रेजी में 99 अंक हैं। उनकी ख्वाहिश मैकेनिकल इंजीनियर के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने की है। उनकी प्राथमिकता पर आइआइटी बांबे है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई ज्यादातर छात्र करते हैं। इसी चुनौती के चलते उन्होंने यह ब्रांच चुनी है। शांति नगर कैंट में रहने वाली देवांशी के पिता पिता संतोष गुप्ता बिजनेसमैन व मां अंजली गुप्ता गृहणी हैं।

विदेश जाकर करनी है फिजिक्स आनर्स की पढ़ाई

मैं विदेश जाकर फिजिक्स आनर्स की पढ़ाई करना चाहती हूं। बचपन से ही मेरा यह सपना था, कि मैं 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई विदेश में रहकर करूं। यह बात पांडुनगर निवासी व 12वीं में 99.75 फीसद अंक (विज्ञान वर्ग) हासिल करने वाली सुचिता अग्रवाल ने कही। 10वीं में 95.2 फीसद अंक हासिल करने वाली सुचिता ने कहा कि पढ़ाई के अलावा आर्ट में बहुत मन लगता है। स्वराज इंडिया स्कूल की छात्रा सुचिता के पिता अजय अग्रवाल सीए हैं और माता नीतू अग्रवाल गृहणी हैं। सुचिता को गणित, भौतिकी व रसायन विज्ञान में 100-100 अंक मिले।

आइएएस बन लोगों की मदद करना चाहती हैं श्रुति

कैंट निवासी अंशिका श्रुति पहले अर्थशास्त्र से स्नातक की पढ़ाई, फिर आइएएस बन लोगों की मदद करना चाहती हैं। डा. वीरेंद्र स्वरूप पब्लिक स्कूल कैंट की छात्रा अंशिका ने 12वीं के परिणाम में ह्यूमैनिटीज वर्ग से 99.75 फीसद अंक हासिल किए। 10वीं में 95 फीसद अंक हासिल करने वाली इस मेधावी छात्रा ने बताया कि पढ़ाई के अलावा बास्केटबाल, डिबेट व स्टोरीटेङ्क्षलग करना अच्छा लगता है। अंशिका को गणित, मनोविज्ञान व राजनीति विज्ञान में 100-100 अंक मिले। उनके पिता प्रमोद झा फतेहपुर में एसडीएम सदर हैं, जबकि माता वंदना झा गृहणी हैं।

आनलाइन पढ़ाई बेहतर, बनना है अब आइएएस

कोरोना महामारी ने पढ़ाई का जो स्वरूप बदला है, वह अब ठीक लगता है। जब किसी तरह का विकल्प नहीं तो आनलाइन पढ़ाई बेहतर है। मुझे आइएएस बनना है, इसके लिए मेरे पिता से मुझे प्रेरणा मिली। यह बात कही, द ङ्क्षचटल्स स्कूल रतनलाल नगर की छात्रा समृद्धि तिवारी ने। वाणिज्य वर्ग से पढ़ाई करते हुए समृद्धि ने 10वीं में 99.6 फीसद अंक हासिल किए। गणित, इतिहास व नागरिक शास्त्र और भूगोल व अर्थशास्त्र में समृद्धि को 100-100 अंक मिले। समृद्धि के पिता पंकज तिवारी स्टेट बैंक आफ इंडिया में कार्यरत हैं, जबकि माता सुधा तिवारी गृहणी हैं। समृद्धि को पढ़ाई के अलावा किताबें पढऩा पसंद हैं।

chat bot
आपका साथी