एक बार फिर सुर्खियाें में आए IAS अधिकारी दिव्यांशु पटेल, उन्नाव में कार्यालय के बाहर लगाया विवादित बाेर्ड
IAS officer Divyanshu Patel News सीडीओ कार्यालय में अधिकारी के बैठने के दौरान ही विकास में गड़बड़ी मानकों से खिलवाड़ मूलभूत सुविधाओं की कमी व पूर्ति किए जाने के नाम पर बंदरबांट योजनाओं में अपात्रों का चयन आदि समस्याओं से पीडि़त जिले की जनता अपनी फरियाद लेकर आती है।
उन्नाव, जेएनएन। IAS officer Divyanshu Patel News जिले के विकास के कर्ता-धर्ता के कार्यालय में संदिग्ध और बेमतलब तो क्या आम जनता और फरियादी भी आसानी से प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इस बात की सूचना कोई और नहीं मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के बाहर लगाया गया चेतावनी बोर्ड ही दे रहा है। जिला पंचायत चुनाव के बाद चर्चा में आए आइएएस दिव्यांशु पटेल को तो आप जानते ही होंगे। दरअसल, इन दिनों वे अपने कार्यालय केे बाहर लगाए गए बोर्ड को लेकर चर्चा में हैं।
यह है पूरा मामला: मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल का कार्यालय विकास भवन के प्रथम तल पर है। जहां अपने कार्यालय में बैठकर सीडीओ जिले के विकास का खाका तय करते हुए संबंधित कवायद गंभीरता से पूरी करते हैं। वहीं इसी कार्यालय में अधिकारी के बैठने के दौरान ही विकास में गड़बड़ी, मानकों से खिलवाड़, मूलभूत सुविधाओं की कमी व पूर्ति किए जाने के नाम पर बंदरबांट, योजनाओं में अपात्रों का चयन आदि समस्याओं से पीडि़त जिले की जनता अपनी फरियाद लेकर आती है। जिसके लिए सरकार ने भी उच्चाधिकारियों को जनता से मिलने और उनकी समस्याएं सुनने का समय तय किया है। शासन के बनाए इस नियम का विधिवत पालन हो रहा है अथवा नहीं। इस बात को पक्का करने में उच्च अधिकारी द्वारा कार्यालय के बाहर लगाए गए चेतावनी बोर्ड से अड़चन आ रही है। कार्यालय के बाहर लगा बोर्ड सभी के लिए बिना पूर्व अनुमति अंदर प्रवेश करने की छूट नहीं देता है। यह चेतावनी बोर्ड कई लोग चुनाव के दौरान सीडीओ और मीडिया कर्मियों के बीच हुए विवाद के कारण लगाए जाने की चर्चा करते हैं।
इनका ये है कहना: मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल का कहना है की बाकायदा जनता से मिलना और फरियादियों की सुनना हमारे रोज के काम में शामिल है। इसी बोर्ड के ऊपर जनता दर्शन का समय 10 से 12 भी लिखा है। यह किसी को नहीं दिखाई देता। मेरे ऊपर बाराबंकी में मुझे व्यक्तिगत पार्टी बनाते हुए सात मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। अभी एक रिट तो पांच दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर कुछ संदेह तो रहता है। मुझे यदि जनता से न मिलना होता तो मैं डीएम से हर हफ्ते एक गांव में चौपाल लगाए जाने की अनुमति क्यों लेता।वैसे भी बोर्ड लगाए जाने के संबंध में एक पत्र मैं डीएम रवींद्र कुमार को पहले ही दे चुका हूं। उस पत्र में बोर्ड लगाए जाने का कारण भी दिया गया है।