लेदर क्लस्टर के लिए भूमि की अदला-बदली की बाधा दूर, मंत्री बोले...सीएम से कराएंगे शिलान्यास

महाना ने सिंचाई विभाग के अफसरों से कहा कि पानी शोधित कर सिंचाई के काम में लिया जा सकता है। जो प्रक्रिया पूरी करनी है इसे पूरी करा लें। परियोजना के फलस्वरूप गंगा को निर्मल बनाने की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मंशा भी सफल होगी।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 09:07 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 01:01 PM (IST)
लेदर क्लस्टर के लिए भूमि की अदला-बदली की बाधा दूर, मंत्री बोले...सीएम से कराएंगे शिलान्यास
बैठक में औद्योगिक विकास मंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह भूमि फ्री होल्ड नहीं मिलेगी

कानपुर, जेएनएन। रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर की सभी बाधाएं अब दूर हो जाएंगी। क्लस्टर की स्थापना के लिए स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) के तहत गठित कंपनी मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड को उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) 90 साल की लीज पर भूमि देगा। यह भूमि फ्री होल्ड नहीं की जाएगी। साथ ही कंपनी द्वारा साढ़ गांव में ली गई 35.238 एकड़ भूमि को रमईपुर की ग्राम समाज की भूमि से बदला जाएगा। इसके साथ ही भूमि की अदला-बदली को लेकर चल रही रार पर विराम लग गया। लखनऊ स्थित विधान भवन में आयोजित बैठक में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि सड़क निर्माण की मंजूरी, भूमि की अदला-बदली से संबंधित जो भी प्रक्रिया है उसे 15 जून तक पूरी कर लें। तीन माह के अंदर मुख्यमंत्री के हाथों इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास कराएंगे।

रमईपुर में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है, लेकिन इसमें कई बाधाएं होने से प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा था। स्पेशल परपज व्हीकल के तहत गठित कंपनी के निदेशक चाहते थे कि उन्हेंं यूपीसीडा द्वारा 42.02 हेक्टेयर भूमि फ्री होल्ड कर दी जाए, पर बैठक में औद्योगिक विकास मंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह भूमि फ्री होल्ड नहीं मिलेगी। इसे लीज पर दिया जाएगा।  

22 हेक्टेयर भूमि किसानों से खरीदी जा चुकी है। अब बची ग्राम समाज की 35.238 हेक्टेयर भूमि जो आरक्षित श्रेणी की है उसे कंपनी के नाम किया जाएगा, क्योंकि कंपनी इसके बदले साढ़ गांव में इतनी ही भूमि देगी। महाना ने कहा कि कानपुर जिले में चर्म उद्योग से संबंधित 2125 इकाइयां स्थापित हैं, इससे 1.20 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। इन इकाइयों में प्रतिदिन 75 हजार जोड़ी फुटवियर का निर्माण होता है और 65 सौ करोड़ रुपये का सालाना निर्यात होता है। अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि प्रोजेक्ट पर भारत सरकार से सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरङ्क्षवद कुमार, यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी मौजूद रहे। मंडलायुक्त डा. राजशेखर और डीएम आलोक तिवारी वर्चुअल शामिल हुए।

पट्टे पर आवंटियों को मिलेगी भूमि : बैठक में तय किया गया कि विकसित भूखंडों का आवंटन त्रिपक्षीय पट्टे पर किया जाएगा। यूपीसीडा ने क्लस्टर का लेआउट व भवन मानचित्र तैयार कराया है। क्लस्टर में आवंटियों को हस्तांतरण एवं अन्य प्रमुख सुविधाएं यूपीसीडा के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी।

सिंचाई के काम आएगा शोधित पानी : कंपनी के निदेशक अशरफ रिजवान ने कहा कि टेनरियों से निकलने वाले पानी के शोधन के लिए 20 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है। पानी नहर में छोड़ा जाए तो बेहतर होगा। महाना ने सिंचाई विभाग के अफसरों से कहा कि पानी शोधित कर सिंचाई के काम में लिया जा सकता है। जो प्रक्रिया पूरी करनी है इसे पूरी करा लें। परियोजना के फलस्वरूप गंगा को निर्मल बनाने की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मंशा भी सफल होगी।

13 हजार करोड़ का निवेश आएगा : क्लस्टर में करीब 13 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा। सिटी की स्थापना के लिए 125 करोड़ की वित्तीय मदद केंद्र सरकार से मिलेगी, दो सौ करोड़ रुपये एनएमसीजी की ओर से ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मिलेगा और 50 करोड़ रुपये कामन फैसिलिटी सेंटर स्थापना को ओडीओपी स्कीम से राज्य सरकार देगी। अब तक 237 लोग उद्योग स्थापना के लिए सहमति दे चुके हैं।  

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