नए सीएमडी के इंतजार में फंसे बीआइसी कर्मियों के 100 करोड़, जुलाई में होना था भुगतान

बीआइसी के सह प्रबंध निदेशक के जाने के बाद नए की नियुक्ति न होने से सात सौ अधिकारियों व कर्मचारियों का सौ करोड़ रुपये वेतन का बकाया है। इसका भुगतान जुलाई माह के अंत तक किया जाना था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 08:55 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 08:55 AM (IST)
नए सीएमडी के इंतजार में फंसे बीआइसी कर्मियों के 100 करोड़, जुलाई में होना था भुगतान
बीआइसी में अफसरों और कर्मचारियों में रोष है।

कानपुर, जेएनएन। बीआइसी में नए चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के इंतजार में कर्मचारियों के वेतन के 100 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। पिछले करीब तीन सप्ताह से ज्यादा समय से पुराने सीएमडी बलराम कुमार जा चुके हैं लेकिन अब तक नए सीएमडी की नियुक्ति नहीं हुई है। इसके चलते जुलाई में जिस धन के आने की बात हो रही थी, वह अटक गया है।

बीआइसी में इस समय करीब सात सौ अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन बाकी है। इनका स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत करीब 300 करोड़ रुपये देने हैं। इन्हें जुलाई 2018 तक का वेतन दिया जा चुका है। इसके बाद के वेतन का करीब 100 करोड़ रुपये बकाया है। जुलाई के अंत तक इनके वेतन का भुगतान उन्हें किया जाना था लेकिन सीएमडी के जाने के चलते यह धन जारी नहीं हो सका। 23 अगस्त को सीएमडी चले गए और उसके बाद से बीआइसी बिना सीएमडी के चल रहा है।

लगातार नए सीएमडी के आने की बात तो हो रही है लेकिन कोई नाम अब तक तय नहीं हो सका है। इसकी नियुक्ति डिपार्टमेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग से होनी है। अधिकारियों के मुताबिक नए सीएमडी के आते ही जुलाई में जो राशि जारी होनी थी, उसके प्रयास शुरू हो जाएंगे। सितंबर में ही नए सीएमडी के आने की उम्मीद है। बीआइसी में लाल इमली के 410 कर्मचारी, मुख्यालय के करीब 60 अधिकारी व कर्मचारी और धारीवाल के 222 कर्मचारी है।

बीआइसी अफसर के भुगतान को लेकर भड़के कर्मचारी

लालइमली कर्मचारी संघ के पदाधिकारी बीआइसी के विशेष कार्याधिकारी को पिछले दिन किए गए भुगतान को लेकर भड़के हैं। संघ के अध्यक्ष अजय ङ्क्षसह ने बीआइसी चेयरमैन से मांग की है कि एक तरफ बीआइसी के चार कर्मचारियों का धनाभाव में निधन हो गया, वहीं विशेष कार्याधिकारी एससी गुप्ता का वेतन भुगतान कर दिया गया। लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा इसकी जांच की जानी चाहिए। वहीं एससी गुप्ता का कहना है कि उन्हें कोरोना हुआ था, जिसके इलाज में खर्च हुई राशि के लिए एडवांस मिला था। आरोप गलत हैं।

chat bot
आपका साथी