हैवानियत इस कद हावी है कि इंसानियत तोड़ रही दम, यहां कपड़े नहीं कफन के दाम छू रहे आसमान

अब तीन सौ रुपये वसूले जा रहे हैं। अन्य सामग्री में भी डबल दाम लिए जा रहे हैं। कफन जो अमीर हो या गरीब सभी के लिए सामान होता है वह तीस-चालीस रुपये मीटर के स्थान पर पचास रुपये से साठ रुपये मीटर में मिल रहा है।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 01:28 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 01:28 PM (IST)
हैवानियत इस कद हावी है कि इंसानियत तोड़ रही दम, यहां कपड़े नहीं कफन के दाम छू रहे आसमान
तीस-चालीस रुपये मीटर के स्थान पर पचास रुपये से साठ रुपये मीटर में मिल रहा है

कानपुर, जेएनएन। इस समय कफन के धागों में दर्द नहीं सिर्फ फायदा तलाशा जा रहा है। आपदा में भी लाभ का अवसर तलाश रहे लोगों की सूची लंबी है। अस्पताल से लेकर मेडिकल स्टोर तो अभी तक शामिल ही थे अब अंतिम संस्कार करना भी महंगा हो चला है। वर्तमान हालातों को देख यह कह सकते हैं कि इंसान की जान बहुत सस्ती है, कफन महंगा हो गया है...

जिले में कोरोना से मरने वालों की संख्या तो एक साल में 55 ही है लेकिन अप्रैल से मई माह तक जिले में मौत के बनने वाले प्रमाण पत्र पर गौर करें तो यह संख्या पांच सौ के करीब पहुंच चुकी है। इसमें सामान्य बीमार, अन्य हादसों से हुई मौत भी जुड़ी हैं।

सिर्फ पैसे तलाश रहे : जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तो कोई खामी नहीं रही। हां कोरोना से मौत का आंकड़ा देखें तो अप्रैल माह से लेकर अभी तक 45 लोगों की जान गई। वहीं अन्य बीमारियों से हुई मौतों का आंकड़ा जरूरत बढ़ गया। इस दौरान अंतिम संस्कार के लिए लोग सामग्री लेने को भटकते रहे, कारण कि दुकानों में ताला है। दुकान के बाहर लिखे नंबर पर डायल करते ग्राहक दुकानदार से संपर्क करते हैं। इसमें मोल भाव की कोई गुंजाइश नहीं होती। जो कफन पहले दो सौ का था अब तीन सौ रुपये वसूले जा रहे हैं। अन्य सामग्री में भी डबल दाम लिए जा रहे हैं। कफन जो अमीर हो या गरीब सभी के लिए सामान होता है, वह तीस-चालीस रुपये मीटर के स्थान पर पचास रुपये से साठ रुपये मीटर में मिल रहा है। मजबूरी हो तो दाम बढ़ भी जाते हैं।

अंतिम संस्कार हुआ महंगा : अमीर हो या गरीब हर किसी को मौत के बाद आग के हवाले ही किया जाता है। इस समय अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। मरघटा पर ही लकड़ी का टाल लगा है। आम दिनों में जो लकड़ी तीन सौ रुपये कुंतल में बिकती है वह अब छह सौ रुपये कुंतल में बेची जा रही है। वहां तैनात डोम राजा की फीस भी बढ़ गई है। सौ-पचास में मान जाने वाले डोम अब 351 से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं।

तेरहवीं में लगने वाली सामग्री हुई महंगी : अंतिम संस्कार के साथ दिवंगत का तेरहवीं संस्कार भी कोरोना काल में दूना महंगा हो गया है। कपड़ा, चप्पल, लोटा, छाता तथा अन्य जरूरत के अनुसार जो भी सामान ग्राहक को चाहिए दुकानदार फोन पर उपलब्ध करा दे रहे हैं, लेकिन इनमें कोई मोल भाव नहीं है। दुकानदार मोहित ने बताया कि नया माल नहीं आने से समस्या आ रही है। जो माल है उसे ही बढ़ा कर देना मजबूरी है। एक थैला जो दो-ढाई सौ रुपये में बंध जाता था, अब पांच से छह सौ रुपये में है।

प्रशासन मदद को आगे आया : डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा कि कोविड सेंटर के पास ही अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है। संक्रमित की मौत पर यदि स्वजन शव न ले जाना चाहें तो उनका अंतिम संस्कार वहीं बने प्वाइंट पर करवाया जा रहा है। इसमें जो भी खर्चा होता है वह प्रशासन वहन करता है। वहीं नगर पालिका की ओर से भी इसकी व्यवस्था की गई है।  

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