सिलिंडर में ऑक्सीजन की जगह हीलियम की रीफिलिंग से हो रहे हादसे, जानिए- कैसे पता करें एक्सपाइरी

कानपुर शहर में सिलिंडर फटने के दो हादसे हो चुके हैं। ऐसे में ऑक्सीजन गैस सिलिंडर लेकर चलने वाले भी किसी खतरे से कम नहीं है। अधिकतर प्लांटों में बिना हाइड्रो टेस्ट प्रमाण पत्र देखे ही रीफिलिंग की जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 10:56 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 10:56 AM (IST)
सिलिंडर में ऑक्सीजन की जगह हीलियम की रीफिलिंग से हो रहे हादसे, जानिए- कैसे पता करें एक्सपाइरी
खतरा बन गया है ऑक्सीजन सिलिंडर ।

कानपुर, जेएनएन। पनकी ऑक्सीजन प्लांट में हुए हादसे के बाद मंगलवार को गड़रियनपुरवा स्थित बब्बर गैस प्लांट के बाहर खड़ी वैन में रखा सिलिंडर फट गया था। अग्निशमन अधिकारियों के मुताबिक ऑक्सीजन सिलिंडरों की जरूरत को देखते हुए अब लोग गुब्बारे में भरी जाने वाली हीलियम गैस सिलिंडर में रीफिलिंग करा रहे हैं। इसी कारण हादसे हो रहे हैं।

फजलगंज फायर स्टेशन के कार्यवाहक अग्निशमन अधिकारी विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि सिलिंडर की कमी के चलते लोगों को जो भी सिलिंडर मिल रहा है। उसी में ऑक्सीजन भरा रहे हैं। आक्सीजन और हीलियम गैस सिलिंडर की बनावट एक ही जैसी होती है। दोनों सिलिंडर में अंतर निकालना मुश्किल होता है। वहीं प्लांटों में भी बिना हाइड्रो टेस्टिंग का प्रमाण पत्र देखे हुए सिलिंडरों में रीफिलिंग की जा रही है।

निर्माण वर्ष बताता है ए, बी सी डी...

सिलिंडर की गर्दन पर वर्ष के साथ ए, बी, सी, डी जैसे अंक लिखे होते हैं जो सिलिंडर निर्माण का माह दर्शाता है। ए का अर्थ जनवरी, फरवरी, मार्च, बी का अर्थ अप्रैल, मई, जून, सी का अर्थ जुलाई, अगस्त, सितंबर, डी का अर्थ अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर माह होता है। एक सिलिंडर का जीवन दस साल का होता है। दो से तीन तीन साल में उसका हाइड्रो टेस्ट कराया जाना चाहिए।

अधिकांश तौर पर देखा जाता है कि बनावट एक जैसी होने से हीलियम के सिलिंडर में ऑक्सीजन गैस भर दी जाए तो उसमें केमिकल रिएक्शन होना स्वाभाविक है। वहीं समय सीमा पूरी कर चुके सिलिंडरों में अंदर पड़ी प्लेटों में भी जंग लग जाती है और प्लेटे पतली हो जाती है, जो रीफिलिंग के दौरान प्रेशर नहीं बर्दाश्त कर पाती और हादसा हो जाता है।

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