अस्पताल मरीज को बता रहे जिंदगी बचानी है तो रुपये लाओ नहीं तो बहुत दे हो जाएगी

शहर का सबसे बड़ा अस्पताल होने का दंभ भरने वाला यह जान बचाने का मंदिर कीमत भी तगड़ी लेता है। कैंट के रिंकू गुप्ता ने जब अपने दोस्त को भर्ती कराने के लिए फोन किया तो पहले 1.80 लाख रुपये जमा कराने को कहा गया।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 06:05 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 06:05 PM (IST)
अस्पताल मरीज को बता रहे जिंदगी बचानी है तो रुपये लाओ नहीं तो बहुत दे हो जाएगी
सर्वोदय नगर स्थित एक अस्पताल ने इस काम में सभी को पीछे छोड़ दिया है

कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा में अवसर ढूंढने वाला बयान अस्पतालों ने आत्मसात कर लिया है। शायद इसीलिए इलाज खर्च की इंतहा कर दी। किसी ने तीन दिन का 50 हजार रुपये तय किया तो किसी ने 80 हजार रुपये। पैकेज की इस धूम के बीच संदेश भी साफ था कि जिसे जिंदगी बचानी हो वह आए अन्यथा मौत के मुंह में समा जाए, हमारी बला से। सर्वोदय नगर स्थित एक अस्पताल ने इस काम में सभी को पीछे छोड़ दिया है।

शहर का सबसे बड़ा अस्पताल होने का दंभ भरने वाला यह जान बचाने का मंदिर कीमत भी तगड़ी लेता है। कैंट के रिंकू गुप्ता ने जब अपने दोस्त को भर्ती कराने के लिए फोन किया तो पहले 1.80 लाख रुपये जमा कराने को कहा गया। पैसा जमा होने के बाद उन्हेंं फोन कर मरीज लाने की बात कही गई। इसी बीच कहीं मरीज सांस छोड़ देता तो अस्पताल का क्या जाता, लेकिन किसी की दुनिया, किसी का बेटा और किसी का पिता इस दुनिया से रुखसत हो चुका है। खैर यह कहानी हर अस्पताल की है हां खर्च का पैमाना कम और ज्यादा हो सकता है। अस्पताल संचालकों का पेट यहीं नहीं भरता।

दवाओं पर भी वह मेडिकल स्टोर संचालक से सांठगांठ कर लेते हैं। कई अस्पताल तो मेडिकल स्टोर भी अपने ही चला रहे हैं। स्वरूप नगर के एक अस्पताल में भर्ती मरीज के तीमारदार को अस्पताल के मेडिकल स्टोर ने इंजेक्टशन 880 रुपये का दिया जबकि वही इंजेक्शन उन्हेंं बाहर महज 430 रुपये में मिल गया। अस्पतालों में हो रहा यह सब लूट नहीं तो आखिर क्या है।

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