हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष: कानपुर से प्रकाशित पहला हिंदी पत्र था ब्राह्मण, जानिए- रोचक इतिहास

हिंदी पत्रकारिता में कानपुर भी खास गढ़ रहा है यहां पर पहला हिंदी पत्र ब्राह्मण पहले नौघड़ा और फिर सवाई मान सिंह का हाता से प्रकाशित हुआ।नवंबर 1913 में फीलखाना से हिंदी अखबार प्रताप का प्रकाशन शुरू हुआ था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 30 May 2021 09:45 AM (IST) Updated:Sun, 30 May 2021 06:29 PM (IST)
हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष: कानपुर से प्रकाशित पहला हिंदी पत्र था ब्राह्मण, जानिए- रोचक इतिहास
कानपुर में हिंदी पत्रकारिता का विशेष स्थान रहा है।

कानपुर, जेएनएन। हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कानपुर शुरू से ही सिरमौर रहा है। हिंदी के पहले अखबार उदन्त मात्र्तण्ड के संपादक कानपुर व उन्नाव से जुड़े थे, जबकि इस क्षेत्र का पहला हिंदी समाचार पत्र ब्राह्मण भी यहीं से प्रकाशित हुआ था। इसका संपादन पंडित प्रताप नारायण मिश्र ने किया था। हालांकि, इससे पहले भी 1971 में हिंदू प्रकाश और 1879 में शुभ चिंतक मासिक हिंदी समाचार पत्र निकलने का उल्लेख है, लेकिन ये कम समय में ही बंद हो गए थे, जिससे ज्यादा ब्योरा नहीं मिलता है।

कानपुर इतिहास समिति के सचिव अनूप शुक्ल बताते हैं कि वर्ष 1856 में उन्नाव जिले में पैदा हुए पंडित प्रताप नारायण मिश्र ने सवाई सिंह का हाता से 15 मार्च 1883 को मासिक पत्र ब्राह्मण का प्रकाशन शुरू किया था। नवंबर 1883 के बाद नौघड़ा में इसका प्रकाशन शुरू हुआ, जो 1894 तक चला। इसी तरह कानपुर के बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा, शिव नारायण मिश्र, गणेश शंकर विद्यार्थी और कोरोनेशन प्रेस के मालिक यशोदानंदन शुक्ल के द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी के संपादकत्व में नौ नवंबर 1913 को फीलखाना से हिंदी अखबार प्रताप का प्रकाशन शुरू हुआ। भगत सिंह भी इसमें 23 दिन तक बतौर पत्रकार काम करते रहे थे। वह बलवंत नाम से लिखते थे।

सरस्वती के संपादन में देवी दत्त शुक्ल ने गंवाई थी आंखों की रोशनी

हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अहम स्थान रखने वाले बैसवारा क्षेत्र के दौलतपुर रायबरेली निवासी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती पत्रिका का संपादन कानपुर के जूही स्थित बाथम का हाता में वर्ष 1903 में 1921 तक किया था। आचार्य द्विवेदी के बाद पत्रिका संपादन बैसवारा के ही पंडित देवीदत्त शुक्ल ने किया। वह उन्नाव के बक्सर में 28 अप्रैल 1888 को उनका जन्म हुआ था।

जनवरी 1921 से पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के साथ सरस्वती के संपादन का दायित्व मिला। कुछ वर्षों बाद वह प्रधान संपादक हो गए। इस पद पर रहते हुए आंखों की रोशनी चले जाने के कारण 1946 में सेवानिवृत्त हुए। उनके संपादन में ही सरस्वती में दिसंबर 1933 में सबसे पहले हरिवंशराय बच्चन की कालजयी रचना मधुशाला प्रकाशित हुई थी। 20 मई 1971 को प्रयागराज में उनका निधन हुआ।

इन हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का भी हुआ प्रकाशन

-मध्यप्रदेश के खंडवा से प्रकशित हिंदी पत्रिका प्रभा का फीलखाना से 1917 से प्रकाशन और 1923 में बंद।

-पंडित रमाशंकर अवस्थी ने वर्ष 1920 में सिविल लाइंस से दैनिक वर्तमान था।

-वर्ष 1911 में हिंदी मनोरंजन पत्र बंगाली मोहाल कानपुर से लब्धप्रतिष्ठ कथाकार विश्वभंरनाथ शर्मा कौशिक ने शुरू किया था।

पंडित जुगुल किशोर सुकुल थे प्रथम संपादक

कानपुर के पंडित जुगुल किशोर सुकुल को हिंदी पत्रकारिता का प्रथम संपादक माना जाता है। उन्‍नाव जिले के भाटनखेड़ा गांव में 17 मई 1788 को जन्मे पंडित जुगुल किशोर 20 वर्ष की उम्र में काम को तलाश में काेलकाता गए थे, वहां अदालत में प्रोसीडिंग रीडर की नौकरी मिली। लोगों की आवाज उठाने के लिए समाचार पत्र 'उदन्त मात्तण्ड निकाला। गांव में उनका पैतृक निवास जर्जर है। वह कानपुर में भी रहे। 62 वर्षीय शरदचंद्र शुक्ल उन्हें अपना पूर्वज बताते हैं। उनके मुताबिक, पूर्वज भैरों प्रसाद शुक्ल के पांच बेटों 'राजकिशोर शुक्ल, जुगुल किशोर सुकुल, दैपनारायण शुक्ल, देव नारावण शुक्ल और सिद्धनाथ शुक्ल का जिक्र वंशावली में मिलता है। पं. जुगुल किशोर का निधन 1853 में हुआ था।

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