हाईकोर्ट ने पूछा, एलएलआर अस्पताल में सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन कब लगेंगी

मेडिकल छात्रों ने दायर की थी याचिका, 17 दिसंबर तक शासन को देना होगा जवाब।

By AbhishekEdited By: Publish:Fri, 14 Dec 2018 03:07 PM (IST) Updated:Fri, 14 Dec 2018 04:00 PM (IST)
हाईकोर्ट ने पूछा, एलएलआर अस्पताल में सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन कब लगेंगी
हाईकोर्ट ने पूछा, एलएलआर अस्पताल में सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन कब लगेंगी
कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेडियो डायग्नोसिस विभाग में सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन न होने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। विभाग के छह जूनियर डॉक्टरों की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र ने शासन से जवाब तलब किया है। 17 दिसंबर तक बताने को कहा है कि कब तक मशीनें लगेंगी।
रेडियो डायग्नोसिस विभाग के छह जूनियर डॉक्टरों ने बीते दिनों सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन न होने का हवाला देते हुए हड़ताल की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि बिना मशीनों के उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी ने उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था जेके कैंसर में मशीनों से कराने का आश्वासन दिया। इधर छात्रों का कहना है कि जेके कैंसर में लगी मशीन काफी पुरानी है जब नई टेक्नोलॉजी की मशीनें आ गई हैं।
बता दें, वर्ष 2013 में मेडिकल कॉलेज को छह करोड़ 80 लाख रुपये मशीन लगाने के लिए मिले थे जो बिना खर्च हुए वापस हो गए। एलएलआर अस्पताल (हैलट) में निजी कंपनी सीटी स्कैन और एमआरआइ जांच कर रही है। उसमें छात्रों को प्रैक्टिकल का मौका नहीं मिल रहा है। प्राचार्य के मुताबिक छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस मामले में प्रमुख सचिव, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और शासन को प्रतिवादी बनाया गया है।
लंबे समय से चला आ रहा विवाद
रेडियोडायग्नोसिस विभाग में लंबे समय से सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन को लेकर विवाद चला आ रहा है। छात्र केवल एक्सरे व अल्ट्रासाउंड के जरिए प्रैक्टिकल कर रहे हैं। उनमें दूसरे मेडिकल कॉलेज से पिछडऩे का गुस्सा है। यह काफी डिमांड वाली ब्रांच है। केवल टॉपर ही आते हैं। पीजी की केवल दो सीटें हैं।
एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी देते दगा
विभाग में लगी एक्सरे और अल्ट्रासाउंड मशीनें भी अक्सर दगा दे जाती हैं। उनमें तकनीकी गड़बड़ी आ जाती है, जिसकी वजह से न सिर्फ मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, डॉक्टर भी परेशान होते हैं।
लंबित हैं कई प्रोजेक्ट
सरकार के पास जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कई प्रोजेक्ट लंबित हैं। जरूरी मशीनों की खरीद के लिए फरवरी 2018 में शासन को 86 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर पांच करोड़ रुपये से भी कम राशि जारी की गई। यह डिमांड भी तब की गई थी, जब एमसीआइ की टीम ने मानकों के अनुरूप व्यवस्था न होने का सवाल उठाया था।  
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