बिना चीड़-फाड़ होगी ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन की सर्जरी, प्रदेश में पहला संस्थान बन जाएगा जीएसवीएम मेडिकल कालेज
इस थेेरपी को आधा घंटे से लेकर तीन घंटे तक देना पड़ता है। सिर के उपरी हिस्से पर विशेष प्रकार के मेटल का फ्रेम लगाया जाता है। एमआरआइ की थ्रीडी इमेजिंग से ट्यूमर की जगह और आकार का पता लगाने के बाद थेरेपी की प्लानिंग की जाती है।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में गामा नाइफ मशीन मंगाई जा रही है। इस मशीन के जरिए गामा किरणों की मदद से (गामा-रे) बिना चीर-फाड़ के ही ब्रेन के सभी तरह के ट्यूमरऔर ब्रेन से जुड़े आपरेशन किए जा सकेंगे। इसके लिए कालेज प्रशासन ने 35 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। यह प्रदेश का पहला संस्थान होगा, जहां ये सुविधा उपलब्ध होगी।
गामा नाइफ मशीन से मरीज के प्रभावित हिस्से को टारगेट कर हाईडोज थेरेपी दी जाती है। इस थेेरपी को आधा घंटे से लेकर तीन घंटे तक देना पड़ता है। सिर के उपरी हिस्से पर विशेष प्रकार के मेटल का फ्रेम लगाया जाता है। एमआरआइ की थ्रीडी इमेजिंग से ट्यूमर की जगह और आकार का पता लगाने के बाद थेरेपी की प्लानिंग की जाती है। ट्यूमर को टारगेट कर थ्री डायमेंशन से गामा किरणोंं का रेडिएशन देते हैं। ट्यूमर पर तीनों तरफ से किरणें जाकर ऊर्जा बनाती हैं और ट्यूमर को जला कर खत्म कर देती है।
इन समस्याओं में कारगर
ब्रेन ट्यूमर- ब्रेन कैंसर मिर्गी पीडि़तों के होंगे आपरेशन आॢटरियो वेनस मेल फार्मेसन ब्रेन के अंदरुनी हिस्से के ट्यूमर ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (ब्रेन के नस की बीमारी) एकोस्टिक न्यूरोमा (ब्रेन के नस की बीमारी)यह है गामा नाइफ : गामा नाइफ एडवांस रेडियोथेरेपी की मशीन है। इस मशीन से निकलने वाली गामा किरणें ब्रेन की नसों के ट्यूमर में इस्तेमाल की जाती हैं। इससे कैंसर कोशिकाएं और उनके अंदर का डीएन तक जल कर खत्म हो जाता है।
इनका ये है कहना
मेडिकल कालेज को अपग्रेड करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसके तहत गामा नाइफ मशीन आनी है, जिससे ब्रेन ट्यूमर से जुड़े आपरेशन होंगे। प्रदेश में यह अभी तक की पहली मशीन होगी।
- प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।