एलएलआर अस्पताल के टायलेट में महिला ने जन्मा था बच्चा, उसकी मौत पर जांच करेगी चार सदस्यीय टीम
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला ने टायलट में बच्चे को जन्म दिया था जिसकी मौत हो गई थी। नवजवात के मौत के मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की गई है।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) के वार्ड सात में भर्ती गर्भवती ने टायलेट में बुधवार रात 12.30 बजे बच्चे को जन्म दे दिया था। नवजात जन्म लेने के बाद फिसल कर टायलेट सीट में चला गया, उसके छेद में नवजात का सिर फंसने से दम घुट गया और उसकी मौत हो गई थी। स्वजनों ने डाक्टरों एवं नर्सिंग स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया था। मामले में शासन द्वारा रिपोर्ट तलब किए जाने पर प्राचार्य प्रो. संजय काला ने उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी। वहीं, शनिवार सुबह से ही प्राचार्य बैठक करते रहे। उन्होंने कहा कि प्रकरण में लापरवाही बरती गई है, कंसल्टेंट जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।
प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि अभी तक की पड़ताल में पता चला है कि गर्भवती को बुधवार की शाम स्वजन पहले अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा बच्चा अस्पताल ले गए थे। उन्होंने बताया है कि वहां बुखार की बात कहते हुए उन्हें इमरजेंसी भेज दिया गया। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने बिना गंभीरता समझे उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया। वहां की स्टाफ नर्स भी बेड खाली होने के बावजूद 30 मिनट तक उसे स्ट्रेचर पर लिटाए रही। हर स्तर पर लापरवाही की गई है, जिससे मरीज को इलाज नहीं मिला है। मरीज के आने से लेकर प्रसव और नवजात की मौत तक, किस-किस स्तर पर लापरवाही बरती गई। इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो सभी पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट देगी।
कमेटी में इन्हें किया शामिल : प्रो. काला के मुताबिक कमेटी की अध्यक्ष उप प्राचार्य प्रो रिचा गिरि को बनाया है, उनके अलावा सदस्य स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो किरन पांडेय, एलएलआर के प्रमुख अधीक्षक प्रो आरके मौर्या और अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल की सीएमएस डा. रीता गुप्ता हैं।
प्राचार्य बोले, दूसरे दिन भी लापरवाही बरती
प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि पता चला है पहले दिन मरीज को भर्ती नहीं किया गया। उसे एलएलआर इमरजेंसी भेज दिया गया। कंसल्टेंट और जूनियर रेजीडेंट से पता चला है कि दूसरे दिन गुरुवार यानी प्रसव के बाद भी सूचना भेजी गई, लेकिन वहां से कोई देखने नहीं आया। वहीं, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डा. नीना गुप्ता का कहना है कि किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली थी। न ही प्रसूता के स्वजन रजिस्टर लेकर आए थे। सिर्फ एक मरीज की सूचना मिली थी, जिसे अटेंड करने जूनियर रेजीडेंट को भेजा था। मेरे स्तर से सभी मरीजों को देखा जाता है। बेहतर इलाज देने का प्रयास भी रहता है।