GSVM Kanpur में डा. नेहा अग्रवाल के पत्र ने खोले कई राज, बाल रोग विभागाध्यक्ष पर उठ रहे सवाल

जीएसवीएम मेडिकल कालेज में निलंबित डाक्टर का पत्र सामने आने के बाद बाल रोग के विभागाध्यक्ष पर सवाल उठ रहे है उन्हें लिखे गए कई पत्रों में पीआइसीयू के वेंटिलेटर्स की स्थिति का जिक्र भी किया गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 08:49 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 08:49 AM (IST)
GSVM Kanpur में डा. नेहा अग्रवाल के पत्र ने खोले कई राज, बाल रोग विभागाध्यक्ष पर उठ रहे सवाल
जीएसवीएम मेडिकल कालेज की डाक्टर के निलंबन का मामला।

कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग की निलंबित असिस्टेंट प्रोफेसर और पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) की प्रभारी डा. नेहा अग्रवाल का पत्र सामने आने के बाद खलबली मच गई है। उन्होंने अपने पत्र में सभी प्रकार के वेंटिलेटर की खराबी से बाल रोग विभागाध्यक्ष को अवगत कराया था। साथ ही खामियों को दूर करने का आग्रह किया था। ऐसे में विभागाध्यक्ष की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों उन्होंने सिर्फ एग्वा वेंटिलेटर की गुणवत्ता एवं बच्चे की मौत का जिक्र किया।

असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नेहा ने पांच जुलाई 2021 को विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर पीआइसीयू के वेंटिलेटरों की स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि पीआइसीयू में दो हफ्ते पूर्व दो एग्वा वेंटिलेटर इंस्टाल किए गए थे। दोनों काम नहीं कर रहे हैं। एक चलते-चलते अचानक रुक गया। दूसरा पर ठीक काम नहीं कर रहा है। उन्होंने यह भी लिखा था कि पांच इवेंट्स वेंटिलेटर में भी एक काम नहीं कर रहा है। इसके अलावा भारत हैवी इलेक्ट्रिक लिमिटेड के वेंटिलेटर में वाई पीस कलेक्टर नहीं है। इन सभी वेंटिलेटर की कमी को दूर किया जाए।

दूसरी बार बताया लिपिकीय त्रुटि

पहली बार शासन को गलत रिपोर्ट भेजकर गुमराह किया गया। जब मामले सामने आया तो दूसरी बार मेडिकल कालेज प्रशासन ने शासन को लिपिकीय त्रुटि बताते हुए रिपोर्ट भेजी है। इस पर शासन ने पूछा है कि इतने दिनों बाद तक त्रुटि को ठीक कराने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। इस वजह से मेडिकल कालेज एंव शासन की छवि धूमिल हुई है। इसकी आख्या एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करें।

आइएपी के सदस्यों में रोष : भारतीय बाल रोग अकादमी (आइएपी) के सदस्यों ने बाल रोग विशेषज्ञ डा. नेहा अग्रवाल को फंसाए जाने पर नाराजगी जताई है। इस प्रकरण को लेकर उनमें रोष है। उनका कहना है कि इस मामले को आइएपी की बैठक में भी रखा जाएगा।

-पत्र भी देखा है, उसके हिसाब से डा. नेहा की कोई गलती नहीं है। डा. यशवंत ने ऐसी गलती कैसे की समझ के परे हैं। कोरोना की तीसरी लहर के हिसाब से अस्पताल को डाक्टरों की जरूरत है। पहले ही कई डाक्टर चले गए हैं। इसलिए शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई न करने का आग्रह किया है। अब शासन के स्तर से ही निर्णय होना है। -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।

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