पूरे माह कर्फ्यू फिर भी मई का टैक्स पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा, दो बीमा कंपनियों ने दिया झटका

प्रदेश स्तर पर 494 करोड़ रुपये का टैक्स बढ़ा है। पिछले साल 2855 करोड़ था जबकि इस बार 3349 करोड़ रुपये टैक्स जमा हुआ है। हालांकि दो बीमा कंपनियों ने 20 करोड़ का झटका दिया है फिर भी कानपुर के दोनों जोन ने 19 करोड़ ज्यादा राजस्व संग्रह किया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 11 Jul 2021 10:55 AM (IST) Updated:Sun, 11 Jul 2021 10:55 AM (IST)
पूरे माह कर्फ्यू फिर भी मई का टैक्स पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा, दो बीमा कंपनियों ने दिया झटका
गुड्स सर्विस टैक्स में अधिक राजस्व संग्रह।

कानपुर, जेएनएन। मई में कफ्र्यू के बाद भी कानपुर के व्यापारियों ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में ज्यादा टैक्स अदा किया है। कानपुर के व्यापारियों ने पिछले वर्ष के मुकाबले 19 करोड़ रुपये ज्यादा दिए। यह उपलब्धि तब हासिल हुई है जब दो बीमा कंपनियों ने 20 करोड़ रुपये टैक्स इस माह नहीं दिया। वहीं प्रदेश में 494 करोड़ रुपये ज्यादा टैक्स आया।

अप्रैल में कोरोना की तेज लहर के बाद मई की शुरुआत से ही शहर मेें कफ्र्यू लगा दिया गया था। मई में हालात कुछ सुधरने के बाद बीच में कुछ-कुछ जरूरी कारोबार शुरू किए गए लेकिन पूरी तरह से बाजार जून की शुरुआत में खुल सके। मई के कारोबार का टैक्स अदा करने का समय जून के अंत तक था। बाजार बंद होने के बाद भी मई में कानपुर के व्यापारियों ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष मई में ज्यादा टैक्स दिया। पिछले वर्ष मई में जोन एक में 194.17 करोड़ रुपये का संकलन हुआ था जबकि इस वर्ष यह संग्रह 209.09 करोड़ रुपये हुआ। दूसरी ओर जोन दो में पिछले वर्ष 118.91 करोड़ रुपये का संग्रह था जो इस वर्ष बढ़कर 131.23 करोड़ रुपये हो गया।

इसी मई में एक बीमा कंपनी ने 26.79 करोड़ रुपये का टैक्स जमा किया जबकि पिछले वर्ष उसने 42.78 करोड़ रुपये का टैक्स दिया था। एक अन्य बीमा कंपनी ने इस वर्ष मई में 4.45 करोड़ रुपये का टैक्स दिया जबकि पिछले वर्ष इसी कंपनी ने 7.92 करोड़ रुपये टैक्स दिया था। करीब 20 करोड़ रुपये टैक्स कम आने के बाद भी पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा टैक्स आया। प्रदेश की बात करें तो पिछले साल 2855 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ था जबकि इस बार 3349 करोड़ रुपये का टैक्स जमा हुआ।

-पिछले वर्ष मई के मुकाबले इस वर्ष मई में विभाग ने ज्यादा टैक्स जमा किया। अगर बीमा कंपनियों का टैक्स और मिल जाता तो यह और अच्छा होता। -पीके सिंह, एडीशनल कमिश्नर, ग्रेड वन, जोन वन, वाणिज्य कर विभाग।

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