बेटा खोने का गम व उलझे प्रश्न संजीत के स्वजन को दे रहे जख्म, एक साल बाद भी मां को है इंतजार
साथियों ने बीते 22 जून 2020 को अगवा कर लिया था। उसे अगवा करने के बाद उसे रतनलाल नगर में एक किराए के मकान में रखा था। जहां 26-27 जून को उसकी हत्या करने के बाद शव को फत्तेपुरगोही स्थित लोहे वाले पुल से पांडु नदी में फेंक दिया था।
कानपुर (आशीष पांडेय )। बर्रा में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव अपहरण कांड को मंगलवार को एक साल पूरा हो गया है, पुलिस भले ही इसे भूल गई हो, लेकिन परिवार के जख्म अभी भी हरे हैं। मां अपने बेटे को याद करके बोलती हैं कि ड्यूटी से आने में लाल को पांच मिनट लगते थे। एक साल हो गया, लेकिन मेरे लाल के पांच मिनट अब तक पूरे नहीं हुए। उसके इंतजार में अब आंखे पथरा गईं हैं। सपने में आकर गले लगता है। आंख खुलने पर लाल नजर नहीं आता। संजीत के स्वजन कहते हैं कि पुलिस ने तो बहुत से बातें उन लोगों से छिपाई हैं। आज तक कोई भी ऐसा साक्ष्य लाकर नहीं दिए कि यकीन हो सके।
बर्रा पांच निवासी लैब टेक्नीशियन संजीत यादव को बर्थडे पार्टी के बहाने उसके साथियों ने बीते 22 जून 2020 को अगवा कर लिया था। उसे अगवा करने के बाद उसे रतनलाल नगर में एक किराए के मकान में रखा था। जहां 26-27 जून को उसकी हत्या करने के बाद शव को फत्तेपुरगोही स्थित लोहे वाले पुल से पांडु नदी में फेंक दिया था। मामले में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता, सीओ गोविंद नगर रहे मनोज कुमार गुप्ता, इंस्पेक्टर बर्रा रणजीत राय उनकी नौ सदस्यीय टीम को निलंबित किया गया था। इसके बाद पुलिस ने एक माह बाद वारदात का राजफाश करते हुए आरोपितों को अंबेडकर नगर निवासी गैंगलीडर रामजी शुक्ल, सरायमीता निवासी कुलदीप गोस्वामी, दबौली वेस्ट के ईशू उर्फ ज्ञानेंद्र, गज्जापुरवा के नीलू, कौशलपुरी की प्रीति शर्मा, सिम्मी सिंह उर्फ जयकरन व फत्तेपुर रोशनाई अकबरपुर कानपुर देहात के राजेश उर्फ टाइगर उर्फ चीता को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। एक आरोपित रामाशीष का पुलिस को सुराग नहीं लगा तो पुलिस ने उसकी तलाश बंद कर दी थी।
स्वजन का आरोप है कि पुलिस ने उन लोगों से बहुत सी बाते छिपाई हैं। कई आरोपित हैं जिनके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। मामले में निलंबित तत्कालीन सीओ गोविंद नगर मनोज कुमार गुप्ता को छोड़कर अन्य सभी की बहाली हो चुकी है।
स्वजन का कहना था कि बेटा लौटाने की एवज में अपहर्ताओं ने 30 लाख की फिरौती मांगी थी। जिस पर उन्होंने परिचितों, मित्रों और रिश्तेदारों से उधार लेकर किसी तरह से रकम जुटाई थी। अपहर्ताओं के पकड़े जाने के बाद भी रकम बरामद नहीं हुई।