ग्रीनपार्क के पूरे हुए 75 साल, कई विश्व रिकार्ड समेटे इस स्टेडियम का सफर भी है यादगार

इस स्टेडियम में खेल चुके हैं तमाम नामी क्रिकेटर शहर व प्रदेश के कई खिलाडिय़ों को यहीं से मिली ख्याति।

By AbhishekEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 03:18 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 04:22 PM (IST)
ग्रीनपार्क के पूरे हुए 75 साल, कई विश्व रिकार्ड समेटे इस स्टेडियम का सफर भी है यादगार
ग्रीनपार्क के पूरे हुए 75 साल, कई विश्व रिकार्ड समेटे इस स्टेडियम का सफर भी है यादगार

कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। गंगा का किनारा और हराभरा खूबसूरत नजारा, हमारे शहर की शान ग्र्रीनपार्क स्टेडियम की यही तो विशिष्ट पहचान है। इसी साल 75वें पड़ाव में कदम रखने वाले स्टेडियम ने खूब उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन क्रिकेट के हर फॉर्मेट को संजीवनी देने वाले इस स्टेडियम की शान-ओ-शौकत दिनों दिन बढ़ती गई। कई विश्व रिकार्ड सहेजे इस मैदान की हरियाली में क्रिकेट की वह पौध तैयार हुई जिसने देश ही नहीं दुनिया में नाम कमाया।

मैडम ग्र्रीन के नाम पर हुआ नामकरण

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान साल 1945 में बने ग्रीनपार्क स्टेडियम का नाम मैडम ग्रीन के नाम पड़ा। वह इस मैदान पर घुड़सवारी करने आती थीं।

जेके समूह का अविस्मरणीय योगदान

कानपुर में जेके समूह ने क्रिकेट के बीज को पौधा और फिर वट वृक्ष बनाया। शहर में क्रिकेट की नींव रखने वाले इस घराने ने 14 जनवरी 1952 में भारत व इंग्लैंड के बीच प्रथम अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच का आयोजन गारंटी मनी देकर ही कराया था। जेके समूह के कमला क्लब ग्र्राउंड का उद्घाटन 20 दिसंबर 1941 में तत्कालीन यूनाइटेड प्राविंस के गर्वनर सर हैलट ने किया था।

दुनिया का इकलौता मैनुअल स्कोर बोर्ड

ग्रीनपार्क का स्कोर बोर्ड दुनिया में इकलौता था। इसमें खिलाडिय़ों की उपलब्धियों को कर्मचारी प्लेट लगाने के साथ ही पुली के सहारे चलाते थे। इस स्कोर बोर्ड को चलाने के लिए 35 कर्मचारी लगते थे। कई विदेशी क्रिकेटरों ने इसकी तुलना आधुनिक समय के कम्प्यूटर वाले स्कोर बोर्ड से की। हालांकि समय बदलने के साथ ही यह स्कोर बोर्ड खत्म हो गया।

गोपाल और खांडेकर बने खिलाडिय़ों के प्रेरणास्रोत

साल 1980 में जब भारत की टीम में शीर्ष स्तर के गेंदबाजों की लाइन लगी रहती थी, उस दौर में शहर के गोपाल शर्मा ने अपनी प्रतिभा से चयनकर्ताओं को आकर्षित किया। उस दौर में महान गेंदबाजों के साथ भारतीय टीम का हिस्सा बने ऑफ ब्रेकर गेंदबाज ने शहर के क्रिकेट को भविष्य की राह दिखाई। वर्ष 1983 में भारतीय टीम का हिस्सा रहे शशिकांत खांडेकर साल 1996 में रेलवे के खिलाफ 261 रनों की नाबाद पारी खेलने वाले उस दौर के चुनिंदा बल्लेबाजों में शुमार रहे। पूर्व रणजी खिलाड़ी राहुल सप्रू 17 वर्ष की उम्र में रणजी खेले। राहुल करीब 100 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन कर खुद को साबित कर चुके है। इस बल्लेबाज ने 1999 में विदर्भ के खिलाफ दोहरा शतक जमाकर देश भर में शहर का नाम रोशन किया।

ये धुरंधर भी चमके

ग्र्रीनपार्क ने सुरेंदर अमरनाथ, सुरेश रैना, ज्ञानेंद्र पांडेय, आरपी सिंह सरीखे दिग्गज क्रिकेटर दिए। यहां कई महान भारतीय क्रिकेटर सुभाष गुप्ते, जसुभाई पटेल, सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, कपिलदेव, अनिल कुंबले व मोहम्मद अजहरुद्दीन खेले और विश्व क्रिकेट में धाक जमाई।

कैफ और कुलदीप छा गए दुनिया में

ग्रीनपार्क में ही खेलकर भारत के जांटी रोड्स यानी मोहम्मद कैफ ने बेहतरीन क्षेत्ररक्षण के बदौलत विश्व क्रिकेट में पहचान बनाई। देश के पहले चाइनामैन गेंदबाजी का खिताब पा चुके कुलदीप भी शहर की जमी से निखरे उन सितारों में शुमार हैं, जो दुनियाभर में चर्चा का विषय बने हैं। कुलदीप शहर से विश्वकप खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।

महिला क्रिकेट क्षितिज के सितारे

शहर से क्रिकेट के शीर्ष पर जाने वाली महिला क्रिकेटरों में विकेटकीपर बल्लेबाज रीता डे का नाम शुमार है। दाएं हाथ की विकेटकीपर बल्लेबाज रीता डे ने 1984 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट व एकदिवसीय मैच खेला था। विश्व में भारतीय क्रिकेट को चमकाने वाली नीतू डेविड देश की प्रमुख महिला खिलाडिय़ों में सबसे चर्चित नाम है। शहर की लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाज ने वर्ष 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना टेस्ट व एकदिवसीय डेव्यू किया था। नीतू डेविड का टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ आठ विकेट व वनडे में पांच विकेट सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रहीं। शहर में महिला खिलाडिय़ों के लिए आदर्श रहीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज अर्चना मिश्रा ने वर्ष 1980 से लेकर 1993 तक यूपीसीए के खेलते हुए खुद को प्रबल खिलाडिय़ों की सूची में बनाए रखा। अर्चना ने पुणे में हुए इंटर जोनल मुकाबले में सात विकेट लेकर जो रिकार्ड बनाया वो आज भी बरकरार है। अर्चना मिश्रा यूपी महिला टीम की अंडर-23, अंडर-19, सीनियर टीम की मुख्य कोच रह चुकी है। वर्ष 2002 से 2005 तक इंडियन चयन समिति में रहीं।

ये चमक बिखेरने को बेताब

उन्हीं के नक्श-ए-कदम पर चलकर नए खिलाडिय़ों की पौध टीम इंडिया के लिए दावा ठोक रही है। यूपी रणजी के कप्तान अंकित राजपूत, उपेंद्र यादव, त्रिशाल त्रिवेदी, अल्लास शौकत, महिलाओं में एकता सिंह, सौम्या सिंह कशिश सिंह, विदिशा कर, छाया चौहान सरीखे होनहार खिलाड़ी विश्व फलक पर चमकने को बेताब हैं।

ये है स्वर्णिम इतिहास

पहली टेस्ट मैच जीत : भारत को टेस्ट मैच की पहली जीत दिसंबर-1959 में इसी मैदान पर मिली। खास बात यह है कि ये जीत अजेय कही जाने वाली आस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली।

पहला डे-नाइट मुकाबला : यहां 29 अक्टूबर-2017 को पहला डे-नाइट मुकाबला हुआ।

500 वां टेस्ट : ग्रीनपार्क में 22 सितंबर-2016 को हुए भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए 500 वें टेस्ट का गवाह बन चुका है।

आंकड़ों के आईने में उपलब्धियां

-यहां अब तक कुल 32 शतक लग चुके हैं। शतकवीरों में 19 भारतीय क्रिकेटर हैं।

-यहां हुए मैचों में सर्वाधिक 25 विकेट लेने का रिकार्ड कप्तान कपिल देव के नाम दर्ज है।

-यहां तीन मैचों में पूर्व भारतीय कप्तान व स्पिनर अनिल कुंबले ने 21 विकेट हासिल किए थे।

-वर्ष 1986 में इस मैदान में पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजरुद्दीन ने श्रीलंका के खिलाफ 199 रनों की पारी खेली थी।

-वर्ष 1987 विश्वकप में वेस्टइंडीज बनाम श्रीलंका का मैच हुआ।

-वर्ष 1889 में अंग्रेज इस मैदान में क्रिकेट के अलावा बहुत सारे खेलों के लिए उपयोग करते थे।

-1993-94 में हीरो कप के उद्घाटन मैच का आयोजन हुआ जिसमें भारत-श्रीलंका के बीच मुकाबला हुआ।

-1994-95 में इसी मैदान पर विल्स विश्व सीरीज भारत बनाम वेस्टइंडीज हुई थी।

-वर्ष 2000 में तत्कालीन भारतीय कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली ने जिम्बाब्बे के खिलाफ पांच विकेट लिए थे।

-अक्टूबर-2017 में यहां भारत ने न्यूजीलैंड के विरुद्ध सर्वाधिक स्कोर 337/7 बनाया था।

-रोहित शर्मा एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने ग्रीनपार्क पर दो शतक लगाये हैं।

-इस स्टेडियम में आईपीएल के गुजरात लॉयन्स के चार मैच हो चुके है।

खास पहचान

- 32 हजार दर्शकों की क्षमता वाला स्टेडियम

- चार प्लेयर पवेलियन वाला इकलौता टेस्ट सेंटर

- टेस्ट, वनडे, टी-20, आइपीएल के साथ रणजी मुकाबले खेले जाते है।

अब तक हुए मैच

टेस्ट मैच- 22

वनडे मैच-14

टी-20-एक

आइपीएल-चार  

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