गोविंदाचार्य ने बताया विकास का सही रास्ता, बोले- जमीन, जल, जंगल और जानवर के साथ जन का अनुकूल जीवन बने

भारत विकास संगठन की बैठक में आए भाजपा नेता एवं प्रमुख प्रचारक गोविंदाचार्य ने एक वार्ता में कहा विकास की परिभाषा व मानक पर पुनर्विचार की जरूरत है और मानव केंद्रित नहीं प्रकृति केंद्रित विकास की ओर बढ़ें।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 08:54 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 08:54 AM (IST)
गोविंदाचार्य ने बताया विकास का सही रास्ता, बोले- जमीन, जल, जंगल और जानवर के साथ जन का अनुकूल जीवन बने
बिठूर के आश्रम में भारत विकास संगम की बैठक।

कानपुर, जेएनएन। भाजपा नेता एवं प्रमुख प्रचारक गोविंदाचार्य का कहना है कि देश में विकास की परिभाषा, स्वरूप और मानक के बारे में पुनर्विचार की जरूरत है। मानव केंद्रित विकास की दिशा में दो सौ वर्षों के प्रयास से हटकर प्रकृति केंद्रित विकास की ओर बढऩा है। वह बिठूर में सुधांशु जी महाराज के आश्रम में शनिवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय भारत विकास संगम की बैठक में भाग लेने के लिए आए हैं।

उन्होंने कहा कि जमीन, जल, जंगल, जानवर के साथ जन का अनुकूल जीवन बने, यही विकास का सही रास्ता है। आज विकास के अधिष्ठान को बदलने की जरूरत है। यह बदलेगा तो मानक भी बदलेंगे। आज जीडीपी से हटकर हमें सुख के मानक तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी विषयों पर दो दिन की बैठक में चर्चा होगी और वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही इन बिंदुओं को निपटा लेना है। गोविंदाचार्य ने कहा कि इसके लिए लगातार बौद्धिक रचनात्मक, आंदोलनात्मक कार्य संगठन कर रहा है। इस रचनात्मक आंदोलन के लिए सरकार से न भीख मांगेंगे, न ही टकराव चाहेंगे।

उनके मुताबिक जब समाज आगे और सत्ता पीछे चलेगी तभी स्वस्थ विकास होगा। दो दिन की बैठक के संबंध में उन्होंने बताया कि संगठन हमारा गांव, हमारा देश थीम पर कार्य कर रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का पोषण ही विकास है, इसे मानने वाले ही बैठक में आगे की योजना तैयार करेंगे। उनके अनुसार देश में 127 ईको एग्रो क्लाइमेटिक जोन हैं। प्रत्येक की अलग खासियत है। इन्हें विकेंद्रित विकास का केंद्र बनाना है। इसके साथ ही 10 हजार सक्रिय समूहों की पत्राचार सूची बनानी है।

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