ऐसे आंगनवाड़ी केंद्रों को तो बंद कर दीजिए सरकार

सरकार चाहती है कि बच्चे कुपोषित न हों। इसलिए गांवो में आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं पर ये केंद्र अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 01:57 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:08 AM (IST)
ऐसे आंगनवाड़ी केंद्रों को तो बंद कर दीजिए सरकार
ऐसे आंगनवाड़ी केंद्रों को तो बंद कर दीजिए सरकार

जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकार चाहती है कि बच्चे कुपोषित न हों। इसलिए गांवो में आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं पर ये केंद्र अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। दैनिक जागरण की पड़ताल में यह बात सामने आई कि ज्यादातर केंद्र कागज पर ही चल रहे हैं। ऐसे में ये केंद्र बंद भी हो जाएं तो कोई फर्क नहीं पड़ता।

हरबसपुर में ताला बंद

सुबह 11 बजे बजे केंद्र पर ताला बंद था। जबकि जमरेही गांव के केंद्र पर 24 में से मात्र एक बच्चा मिला। उसे भी पंजीरी नहीं मिली थी। कुशलपुर गांव के केंद्र पर सहायिका मौजूद थीं पर कार्यकर्ता गायब थीं। 30 में से 13 बच्चे मौजूद थे। --------------

कार्यकर्ता केंद्र पर नहीं मिलीं

बिल्हौर ब्लाक के गोहलियापुर केंद्र पर 31 में से दो बच्चे मिले। कार्यकर्ता नहीं थीं। रहमतपुर केंद्र पर 40 में से दो बच्चे मौजूद थे। यहां भी कार्यकर्ता का पता नहीं था। खजूरी कला के केंद्र पर सुबह 11 बजे ताला बंद था। बीबीपुर केंद्र पर भी 30 बच्चों में एक मौजूद मिला। कार्यकर्ता और सहायिका बच्चों का इंतजार कर रहीं थीं।

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यहां पुष्टाहार नहीं बंटा

- चौबेपुर ब्लाक के मोहनपुर पेम गांव में 12 बजे सहायिका थीं, कार्यकर्ता नहीं आई थीं। छह बच्चे थे पर उन्हें भी पुष्टाहार नहीं दिया गया।

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कार्यकर्ता ले रहीं घर बैठे मानदेय

कल्याणपुर ब्लॉक के लोधर गांव के केंद्र पर 12:5 बजे केंद्र पर 15 बच्चे थे। कार्यकर्ता निर्मला वाजपेयी नहीं आई थीं। बच्चे बोले कभी- कभी आती हैं। बच्चों को पंजीरी नहीं मिली। दोपहर 12.20 बजे चकरतनपुर केंद्र पर सिर्फ एक बच्चा और सहायिका मौजूद थीं।

इन केंद्रों पर ताला बंद

12.25 बजे होराबागर गांव के केंद्र पर ताला बंद था। दोपहर 12.45 बजे होरा कछार केंद्र पर ताला लट रहा था। बाहर कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। दोपहर 12.50 बजे बगदौधी कछार केंद्र पर भी ताला बंद मिला।

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केंद्र क्यों नहीं खुले इसकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। केंद्र हर हाल में खुलें यह सुनिश्चित करेंगे।-मोहम्मद जफर, जिला कार्यक्रम अधिकारी

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