नेकी और इंसानियत की मिसाल बने रोजेदार, ऑक्सीजन की कतार में कर रहे सहरी और इफ्तार
कोरोना काल में मदद के लिए आगे आए युवा अबतक 40 से ज्यादा लोगों को ऑक्सीजन दिलाकर इंसानियत की मिसाल पेश की है। सिलिंडर की कतार में लगकर इबादत करने के साथ ही सहरी और इफ्तार भी करते हैं।
कानपुर, [आलोक शर्मा]। रोजे के नियम बड़े सख्त हैं लेकिन कोरोना संक्रमण से लड़ रहे लोगों को जिताने की जिद में कुछ युवा रोजेदारों ने ये नियम फिलहाल बदल डाले हैं। सांसों के लिए जूझते लोगों की मदद ही इनकी इबादत है, इसीलिए ये लोग घर की बजाय ऑक्सीजन सिलिंडर की लाइन में ही सहरी और इफ्तार कर रहे हैैं।
जाजमऊ के शहबाज खान, साहब आलम, आरिफ खान, मो.फैज, मो.आफाक यह कुछ ऐसे नाम हैं जो लोगों की जिंदगी बचाने के लिए आठ-आठ घंटे लाइन में लग रहे हैं। इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी बनाकर इकट्ठा हुए युवा 24 घंटे आक्सीजन एकत्र करने में ही लगे रहते हैैं। सिलिंडर की कतार में ही कभी सहरी तो कभी इफ्तार का वक्त हो जाता है। ऑक्सीजन की मदद पहुंचाने और किसी की ङ्क्षजदगी बचाने की जिद में यह युवा लाइन में ही शहरी और इफ्तार कर रहे हैं। शहबाज और उनकी टीम ने एक सिङ्क्षलडर बैंक बनाया है। खाली सिङ्क्षलडर एकत्र कर उन्हें भरवाने के लिए उनकी टीम के सदस्य घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। अब तक 40 से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद कर चुके हैं।
लोगों को मरते देखा तो जागी एंबुलेंस चलाने की चाहत
एंबुलेंस समय से न आने पर इन युवाओं ने लोगों को दम तोड़ते देखा तो उन्होंने एंबुलेंस सेवा शुरू करने की ठान ली लेकिन चिकित्सा विभाग से अभी अनुमति नहीं मिली है। मिलते ही उसे भी शुरू कर देंगे।