ग्लेडियोलस भर सकता जीवन में आर्थिक संपन्नता के रंग, सीएसए के विशेषज्ञ देंगे प्रशिक्षण
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ ग्लेडियोलस की खेती से छात्रों को स्वजरोगार के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण शुरू करेंगे। ग्लेडियोलस की खेती उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में की जा रही है।
कानपुर, जेएनएन। कई तरह के फूलों की तरह ग्लेडियोलस की खेती भी आय में अतिरिक्त लाभ का जरिया है। यह किसानों के जीवन में रंग भरने का काम कर सकती है। इसके लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ जुट गए हैं। विश्वविद्यालय के छात्र प्रशिक्षण प्रक्षेत्र में ग्लेडियोलस की खेती शुरू हो गई है। इसके बेहतर परिणाम और उत्पादकता को देखते हुए किसानों को जल्द ही प्रशिक्षण दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय के उद्यान विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके दुबे ने बताया कि ग्लेडियोलस की व्यवसायिक खेती उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में आसानी से की जा रही है। इसके सफेद, पीले, नारंगी, लाल तथा मिक्स रंगों के फूलों की काफी मांग है। एक एकड़ क्षेत्रफल में 35 से 40 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि लाभ करीब 50 से 60 हजार रुपये प्रति एकड़ है।
उन्होंने बताया कि इसकी खेती लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव,कानपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद इत्यादि जनपदों में की जा रही है। पारंपरिक खेती की तुलना में अच्छे लाभ ने किसानों का ध्यान इसकी ओर खींचा है। किसान ग्लेडियोलस की खेती कर कम समय में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने बताया कि ग्लेडियोलस की कुछ अद्वितीय विशेषताओं जैसे अधिक आर्थिक लाभ, आसान खेती, शीघ्र पुष्प प्राप्ति, पुष्पकों के विभिन्न रंगों, स्पाइक की अधिक समय तक तरोताजा रहने की क्षमता एवं कीट रोगों की कम प्रकोप आदि के कारण इसकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
शोध, नई प्रजातियां होंगी विकसित
मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने बताया कि ग्लेडियोलस की खेती के साथ ही इसकी नई प्रजातियों विकसित करने की तैयारी होगी। इसको और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है, इस पर काम किया जाएगा।