पंडालों में विराजे गजानन, पूजन में इन बातों का रखें ध्यान
भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को जन्में भगवान गणेश के स्वागत को शहर में चार हजार से अधिक पंडाल सजाए गए हैं। यहां सुबह गणपति की प्रतिमा की स्थापना की गई।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। सिद्धि विनायक भगवान गणेश गुरुवार को चार हजार से अधिक स्थलों पर आयोजित उत्सव में विराजमान हो गए। हर तरफ गणपति बप्पा से जुड़े भक्ति गीतों और मंत्रों की गूंज सुनाई दे रही है। विविध रूपों वाली प्रतिमाएं पंडालों में विराजमान है और भक्त भजनों और बैंडबाजे की धुन पर झूमते रहे। गजानन के पूजन में कुछ खास बातों का ध्यान रखें ताकि सुख समृद्धि की प्राप्ति हो।
गूंजने लगा गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष
भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को जन्में भगवान गणेश के स्वागत को शहर में सजे पंडालों में सुबह से ही गणपति की प्रतिमा की स्थापना की गई। महोदर, लंबोदर ,एकदंत, वक्रतुंड, सिद्धिविनायक, गजानन आदि रूपों में कष्ट हरने वाले गिरिजा नंदन भगवान गणेश गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष वातावरण में गूंजना शुरू हो गया है। श्रद्धालु दूर्बा, श्वेतार्क आदि अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना।
यहां पर सजा है गणपति का दरबार
गोविंद नगर, किदवई नगर, नौबस्ता, कल्याणपुर , रक्षा बिहार श्याम नगर, लाजपत नगर, सरोजनीनगर, ओमपुरवा, परदेवनपुरवा, लालबंगला आदि जगहों पर प्रतिमा स्थापित की गईं। मेस्टनरोड, बेनाझावर, कैंट, नौबस्ता, गोविंदनगर, बजरंग चौक शिवाला, ओमपुरवा, रामादेवी, शहर के नवाबगंज, आशा माता मंदिर झकरकटी, गुजैनी, एलनगंज, महेश्वरी मोहाल, पनकी, शारदा नगर, शास्त्री नगर, लाटूश रोड, कल्याणपुर, रेल बाजार, लाठी मोहाल आदि स्थलों गजानन भक्तों पर कृपा लुटाएंगे।
प्रभु को तुलसी अर्पित न करें
भगवान गणेश को तुलसी पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि प्रभु को तुलसी प्रिय नहीं है। शास्त्रों के मुताबिक श्रीहरि विष्णु प्रिया तुलसी एक बार भगवान गणेश पर मुग्ध हो गईं। उन्होंने पार्वती नंदन के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा पर लेकिन गणेश जी ने इंकार कर दिया। इससे वह नाराज हो गईं। इसी के बाद से प्रभु को तुलसी पत्र अर्पित नहीं किया जाता है।
घर में स्वयं स्थापित करें मूर्ति
आप अपने घर में स्वत: मूर्तियां स्थापित कर लें। प्रभु की मूर्ति विधि पूर्वक स्थापित करना चाहिए। घर के ईशान कोण में ओम सिद्धिविनायकाय नम: मंत्र का जाप करते हुए प्रभु की मूर्ति स्थापित करें। यदि मूर्ति न हो तो दीवाल पर स्वास्तिक बना लें या फिर सुपाड़ी पर मौली लपेट लपेट लें। इसके बाद देशी घी से दीपक जला लें। तांबे के पात्र में प्रभु को जल अर्पित करें, वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद सिंदूर व रोली का टीका लगायें। लाल रंग या रोली से रंगा हुआ साबूत चावल अर्पित करें। दूर्वा और शमी पत्र चढ़ायें। दीपक का दर्शन करायें और फिर मोदक का भोग लगायें। प्रभु को गन्ना, केला और कैथा विशेष प्रिय है। ऐसे में इन फलों का भोग अति उत्तम रहेगा। इसके बाद देशी घी के दीपक या फिर कपूर से आरती कर पुष्पांजलि अर्पित करें।