कर्मभूमि नर्वल में जीवंत हैं क्रांतिकारी पत्रकार व अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी Kanpur News

क्रांतिकारी पत्रकार व अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी ने आजादी के आंदोलन में नर्वल को अपनी कर्मभूमि बनाया था।

By Edited By: Publish:Sat, 26 Oct 2019 01:13 AM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 09:13 AM (IST)
कर्मभूमि नर्वल में जीवंत हैं क्रांतिकारी पत्रकार व अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी Kanpur News
कर्मभूमि नर्वल में जीवंत हैं क्रांतिकारी पत्रकार व अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी Kanpur News

कानपुर, [शैलेन्द्र त्रिपाठी]। क्रांतिकारी पत्रकार व अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी ने आजादी के आंदोलन में नर्वल को अपनी कर्मभूमि बनाया था। यहां स्थापित सेवा आश्रम आश्रम से ही आसपास व ग्रामीण क्षेत्रों में स्वराज व स्वदेशी आंदोलन की अलख जगाई जाती थी।

90 वर्ष पहले 20 फरवरी 1929 को स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी ने नर्वल में सेवा आश्रम की स्थापना की थी। उस वक्त विद्यार्थी जी के मार्गदर्शन व झंडा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद के कुशल निर्देशन में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका जाता था। यहां महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू भी आ चुके हैं। उस दौर में सेवा आश्रम भगत ङ्क्षसह, चंद्रशेखर आजाद आदि क्रांतिकारियों के साथ गांधीवादी विचारधारा के स्वतंत्रता सेनानियों का आंगन बन गया था। 1931 में गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत के बाद इसका नाम गणेश सेवा आश्रम कर दिया गया।

24 साल बाद भी नहीं हो सकी प्रतिमा की स्थापना

वर्ष 1995 में शासन के निर्देश पर सेवा आश्रम में गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रतिमा स्थापित की जाती थी। इसके लिए चबूतरा बनाकर तैयार कर दिया गया था। लखनऊ के चित्रकार फिदा हुसैन ने विद्यार्थी जी की प्रतिमा तैयार की थी। 26 अक्टूबर 1995 को तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोहरा को बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन अचानक कार्यक्रम निरस्त हो गया था। उस दिन से 24 वर्ष गुजर चुके हैं, लेकिन अभी तक विद्यार्थी जी की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकी।

नर्वल निवासी सुरेन्द्र अवस्थी बताते हैं कि कई बार प्रतिमा की स्थापना के लिए प्रयास किया गया, लेकिन कभी न किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने। वहीं गणेश सेवा आश्रम के अध्यक्ष अरविंद चतुर्वेदी ने 1995 में प्रतिमा को रिजेक्ट कर दिया गया था। जो धन शासन से जारी हुआ वह भी लेप्स हो गया। अब फिर से प्रयास करेंगे तो अगले साल तक विद्यार्थी जी की प्रतिमा स्थापित कराएंगे।

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