आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में गोलमाल, 250 किसानों को मिला 19.75 करोड़ रुपये मुआवजा
साल 2017 में यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रामसिंहासन प्रेम ने पत्र भेजकर जिला प्रशासन को अवगत कराया था कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में कई किसानों ने लेखपालों से साठगांठ कर अपनी कृषि योग्य भूमि को व्यावसायिक और आबादी क्षेत्र की परिवर्तित करा लिया
कन्नौज, जेएनएन। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के मुआवजे में जनपद में करीब 19.75 लाख रुपये का गोलमाल किया गया है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की तरफ से ली गई आडिट आपत्तियों में जब इसका राजफाश हुआ तो जिला प्रशासन में खलबली मच गई। मुआवजा आडिट करने वाले महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व लेखा परीक्षा) ने मुआवजे की 19.75 करोड़ की धनराशि का वितरण अनुचित माना है। अधिकारियों व अन्य कर्मियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद अब कार्रवाई का शिकंजा और कसने की उम्मीद है।
साल 2017 में यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रामसिंहासन प्रेम ने पत्र भेजकर जिला प्रशासन को अवगत कराया था कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में कई किसानों ने लेखपालों से साठगांठ कर अपनी कृषि योग्य भूमि को व्यावसायिक और आबादी क्षेत्र की परिवर्तित करा लिया, जिससे मुआवजे की राशि सर्किल रेट में बढ़ गई। इसमें जमकर कमीशनबाजी हुई, जिसमेें अफसरों से लेकर कर्मचारियों ने किसानों से रेट तय कर लिए थे। आडिट रिपोर्ट के मुताबिक जनपद में करीब 250 किसानों को सर्किल रेट से अधिक मुआवजा दिया गया, जिसमें 19.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया गया। आडिट में पोल खुलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी जगदीश प्रसाद ने जांच कराई, तो सभी मामले सही पाए गए, लेकिन अब यूपीडा ने दोबारा रिमाइंडर भेजा तो छिबरामऊ एसडीएम देवेश कुमार गुप्त व लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को जांच देकर 19 अगस्त को डीएम राकेश कुमार मिश्र ने तहसीलदार छिबरामऊ अभिमन्यु कुमार को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने बताया कि आडिट रिपोर्ट के अनुसार जांच के बाद किसानों को वसूली के नोटिस दिए गए थे। इसमें कई लोग हाईकोर्ट चले गए थे, जिससे यह मामला लंबित हो गया। छिबरामऊ वाले मामले में एक ही भूमि के तीन तरह (व्यावसायिक, रोड साइड व आबादी) के बैनामे किए गए थे, जिसको लेकर तहसीलदार अभिमन्यु कुमार ने आरोपित तत्कालीन तहसीलदार, तत्कालीन नायब तहसीलदार, तत्कालीन उप निबंधक, एक लेखपाल समेत ग्रामीण केसर देवी व राजेश कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
30 बैनामों की कराई जा रही जांच : एक दिसंबर 2012 से 31 दिसंबर 2014 के बीच के करीब 30 बैनामे चिह्नित किए गए हैैं। इनमें खरीदने-बेचने वालों की जांच शुरू की गई है। खरीदने वालों में करीब 32 व बिक्री करने वालों करीब 45 लोग में शामिल हैं। इसकी जिम्मेदारी आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा कानपुर को दी गई है। टीम इन सभी के बारे में जानकारियां जुटा रही है। इसमें बरगावां के चार, बहादुरपुर मझिगवां के तीन, भीकमपुर सानी के तीन, हुसेपुर के पांच, मुंडाला का एक, मुसाफिर पुर के तीन, नगला खेमकरन का एक, नरमऊ का एक, सिकंदरपुर के तीन, तालग्राम देहात के तीन व सौरिख के तीन बैनामों की जांच होनी है।
मुआवजा लेकर चले गए बाहर : बैनामों की जांच के लिए गांव पहुंचने वाले कर्मी खाली हाथ लौट रहे हैं। ग्रामीण खातों का विवरण उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। अधिकांश लोग मुआवजा लेकर दिल्ली, राजस्थान, गुरुग्राम व नोएडा में काम करने चले गए हैं। मोबाइल फोन पर संपर्क करने पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं देते हैं।
एक नजर में एक्सप्रेस वे 302 किमी लखनऊ से आगरा तक है एक्सप्रेस वे 21 नवंबर 2016 को हुआ था उद्घाटन 13, 200 करोड़ रुपये आई है कुल लागत 22 माह में बनकर तैयार हुआ है। 13 हैैं 60 मीटर से लंबे पुल 54 हैैं 60 मीटर से छोटे पुल 04 हैैं रेलवे ओवरब्रिज