फोरेंसिक लैब की जांच में सनसनीखेज खुलासा, मुनाफाखोरों ने बेच डाले नकली Remdesivir Injection

कानपुर पुलिस ने बाबूपुरवा में 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन पकड़े थे अब लखनऊ फोरेंसिक लैब की जांच में नकली होने की पुष्टि के बाद पुलिस के माथे पर बल पड़ गए हैं। अभी तक सामने नहीं आया है एकि ऐसे कितने इंजेक्शन बाजार में खपाए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 07:56 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 07:56 AM (IST)
फोरेंसिक लैब की जांच में सनसनीखेज खुलासा, मुनाफाखोरों ने बेच डाले नकली Remdesivir Injection
पुलिस अब आरोपितों से दोबारा करेगी पूछताछ।

कानपुर, जेएनएन। पिछले दिनों बाबूपुरवा में पकड़े गए 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन नकली निकले हैं। लखनऊ की फोरेंसिक लैब में हुई जांच में यह तथ्य सामने आया है। इस जानकारी के बाद पुलिस के माथे पर बल पड़ गए हैं। माना जा रहा है कि गिरोह ने 30 से 40 हजार रुपये की कीमत पर बड़े पैमाने पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में खपाए हैं, जिससे आने वाले समय में मरीजों के सामने संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में पुलिस आरोपियों से दोबारा पूछताछ कर सकती है, ताकि यह पता चलाया जा सके कि आरोपितों ने कितने इंजेक्शन किसे बेचे हैं।

यूपी एसटीएफ और बाबूपुरवा पुलिस ने मिलिट्री इंटेलीजेंस की मदद से किदवई नगर चौराहे के पास चेकिंग के दौरान बाइक सवार दोस्तों को हिरासत में लेकर जब उनकी तलाशी ली तो उनके पास से 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए थे। पूछताछ में आरोपितों ने नाम बख्तौरीपुरवा नौबस्ता निवासी मोहन सोनी, पशुपति नगर निवासी प्रशांत शुक्ल और यमुना नगर हरियाणा निवासी सचिन कुमार बताया था। पुलिस ने पकड़े गए आरोपितों में मोहन को सरगना बताया गया था।

पुलिस से पूछताछ में मोहन ने बताया कि तीन साल पहले उसने बंगाल के अपूर्वा मुखर्जी को 86 हजार रुपये उधार लिए थे। उधार दी रकम न लौटा पाने पर अपूर्वा ने उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के लिए भेजे थे। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ग्राहक तलाश रहा था। इसने यह भी बताया था कि अपूर्वा ने वाराणसी निवासी अपने परिचित के माध्यम से बस से यह इंंजेक्शन कानपुर भिजवाए थे। पुलिस अपूर्वा के अलावा वाराणसी कनेक्शन पर भी काम कर रही है। इसी बीच मंगलवार की देर शाम पुलिस को इस केस से जड़ा सनसनीखेज सच मालूम पड़ा। जांच के लिए जो सैंपल लखनऊ की फोरेंसिक लैब भेजा गया था।

लैब ने परीक्षण के बाद रिपोर्ट दी है कि इंजेक्शन नकली हैं। इंस्पेक्टर बाबूपुरवा देवेंद्र विक्रम ङ्क्षसह ने इंजेक्शन नकली पाए जाने की पुष्टि की है। बाताया जा रहा है कि इंजेक्शन में केवल डिस्टल वाटर है, जिसे रेमडेशिविर इंजेक्शन की बोतलों में पैक कर दिया गया है। सवाल यह भी है कि क्या असली बोतलों में नकली इंजेक्शन भरा गया या रैपर न अन्य तथ्य भी नकली हैं। हालांकि पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह जानना है कि आरोपितों ने कितने नकली इंजेक्शन बाजार में खपाए हैं। ताकि उन्हें मरीजों तक पहुंचने से पहले रोका जा सके। गौरतलब है कि नकली इंजेक्शन लगने पर मरीज की मृत्यु तक हो सकती है।

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