उतरा बाढ़ का पानी, सुंदर नगर में शुरू हुई सफाई

जलभराव से लोगों को मिली निजात के बाद अब कीचड़ व गंदगी मुसीबत बन गई है। सुन्दर नगर पनकी में मंगलवार को नगर निगम की टीम ने सड़कों व गलियों में जमा गंदगी हटाई और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Aug 2018 01:41 AM (IST) Updated:Wed, 08 Aug 2018 01:41 AM (IST)
उतरा बाढ़ का पानी, सुंदर नगर में शुरू हुई सफाई
उतरा बाढ़ का पानी, सुंदर नगर में शुरू हुई सफाई

जागरण संवाददाता, कानपुर : जलभराव से लोगों को मिली निजात के बाद अब कीचड़ व गंदगी मुसीबत बन गई है। सुन्दर नगर पनकी में मंगलवार को नगर निगम की टीम ने सड़कों व गलियों में जमा गंदगी हटाई और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराया। संक्रमित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, इस कारण स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्षेत्र में प्रभावित लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा बांटी।

सुन्दर नगर में जलभराव की समस्या से निजात मिलने पर लोगों ने राहत की सास ली। गम्भीर बीमारियों का खतरा देख कर नगर निगम से स्वास्थ विभाग की टीम सुन्दर नगर पहुंची। टीम ने घरों के अन्दर भी दवा का छिड़काव किया। बस्ती के बड़े नालों को जेसीवी मशीन से साफ कराया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अमित सिंह गौड़ ने बताया कि सुन्दर नगर में चार से पाच दिन में स्थिति समान्य हो पायेगी। कुछ परिवार बाढ़ शिविरों से घरों में लौट गये है। जबकि कुछ पानी कम होने का इंतजार कर रहे है।

बाढ़ पीड़ितो की दिल खोल मदद

पाडु नदी में आई बाढ़ से टिकरा कस्बे के लोगो का जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। लेखपाल सुदीप दुबे ने बताया पानी के स्तर में गिरावट हुई है। जनप्रिय इंटर कॉलेज के राहत शिविर में अभी भी कम से 500 परिवार रुके है। जिनके खाने पीने की व्यवस्था की जा रही है। रोटरी क्लब आफ कानपुर विनायक श्री के सदस्यों ने टिकरा गाँव जाकर 500 लोगो को खाद्य सामग्री बांटी। क्लब अध्यक्ष अनुपमा गुप्ता,सचिव अलोक गुप्ता, डॉ. हेमन्त मोहन,अनिल गुप्ता,ओमप्रकाश तनवानी, कविता तनवानी, सुरभि गुप्ता, रूचि सेठ, मंजू बागड़, राजकुमार रस्तोगी, राजेश गुप्ता, सुशीला सिंह,ज्योति दीक्षित आदि मौजूद रहे। वन्देमातरम समिति हूलागंज के संदीप शर्मा और शैलेंद्र शर्मा ने शाम को दाल चावल बंटवाया। मातृछाया नव निर्माण समिति द्वारा लंच पैकेट की व्यवस्था करायी गयी।

भौती खेड़ा में रेलवे ट्रैक पर शरण

भौती खेड़ा में जल भराव को देखते हुए कई परिवार गाव छोड़कर रिश्तेदारी में चले गए। लेकिन अभी भी कई परिवार दिल्ली हावड़ा रेलवे लाइन के बंद पड़े ट्रैक पर तिरपाल डाल कर रह रहें हैं।

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