बांदा में कालिंजर दुर्ग के जंगल में लगी आग, तेज हवा के कारण बेकाबू हुए हालात, फायर ब्रिगेड भी नाकाम

ड्यूटी खत्म होने के बाद लौट रहे गार्डों ने पुरातत्व विभाग के सर्किल अॉफिसर सतेंद्र कुमार को मोबाइल फोन से आग लगने की जानकारी दी। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी और कालिजंर पुलिस पहुंच गई। एक छोटी गाड़ी भेज आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया गया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 01:50 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 01:50 PM (IST)
बांदा में कालिंजर दुर्ग के जंगल में लगी आग, तेज हवा के कारण बेकाबू हुए हालात, फायर ब्रिगेड भी नाकाम
बांदा में कालिंजर दुर्ग के जंगल में शुक्रवार सुबह आग लग गई

बांदा, जेएनएन। अजेय कालिंजर दुर्ग के जंगल में शुक्रवार सुबह आग लग गई। तेज हवा के चलते आग ने विकराल रूप ले लिया। सूखे पेड़ों व झाड़-झंखाड़ से आग फैलती चली गई. सुरक्षा गार्डों ने आग की लपटें व धुआं देख पुरातत्व विभाग को सूचना दी। दुर्ग के ऊपर सातवें फाटक के पास लगी आग चौबे महल, रानी महल, वेंकटबिहारी मंदिर और नीलकंठ मंदिर के ऊपर मैदान में फैल गई. सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस फोर्स पहुंच गई. काफी ऊंचाई होने से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां ऊपर नहीं जा सकीं। एक छोटी गाड़ी भेज आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया गया। दोपहर बाद तक आग को बुझाने की कोशिश जारी रही। कयास है कि सुबह घूमने आए किसी पर्यटक ने जलती बीड़ी या सिगरेट फेंक दी, जिससे सूखे पत्तों में आग लग गई और बढ़ती चली गई। 

कालिंजर दुर्ग के सातवें फाटक के पास सुरक्षा गार्डों ने धुआं देखा तो आग लगने की आशंका हुई। कुछ ही देर में आग की आसमान छूती लपटें नजर आने लगीं। ड्यूटी खत्म होने के बाद लौट रहे गार्डों ने पुरातत्व विभाग के सर्किल अॉफिसर सतेंद्र कुमार को मोबाइल फोन से आग लगने की जानकारी दी। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी और कालिजंर पुलिस पहुंच गई। आग लगने वाली जगह से सूखी पत्तियों व झाड़ियों को हटाने का प्रयास शुरू हुआ। आग बढ़ने से रोकने का हर जतन विफल साबित हुआ। धीरे-धीरे आग बढ़ती गई। सूखे पेड़ और झाड़ियां उसकी जद में आ गए। आसमान तक उठता धुआं देख आसपास अफरातफरी मच गई। तेज हवा के साथ आग ने काफी बड़ा क्षेत्र अपने आगोश में ले लिया।

चार घंटे देरी से पहुंची फायर ब्रिगेड, वन विभाग गायब

स्थानीय लोग बताते हैं कि गार्डों की फौज जरूर आग को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जूझती रही पर सूचना के चार घंटे बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचीं। करीब दस बजे पहुंचा अग्निशमन दस्ता किले की ऊंचाई देख बेबस हो गया। बाद में एक छोटी गाड़ी मंगाकर ऊपर भेजा गया। जो आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हुई। सूचना के बाद भी दोपहर तक वन विभाग का कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। चौकी इंचार्ज हरिद्वार प्रसाद व सिपाहियों की टीम गार्डों की मदद से सूखी झाड़ियों को हटाने का जतन करती रहीं। आग की चपेट में आने से जंगल का बड़ा क्षेत्र जलकर राख हो गया।

पक्षियों की भी हुई मौत, प्रवेश किया गया बंद

काफी तेजी से फैली आग में जंगल के पेड़ों को अपने आगोश में ले लिया। बड़ी संख्या में पक्षियों की भी मौत हुई। दुर्ग के नीचे भारी भीड़ जमा हो गई। पर्यटकों का प्रवेश रोक दिया गया। बड़ी संख्या में लोग भगवान नीलकंठ के दर्शन करने पहुंचे थे, जिनको गेट से आगे नहीं बढ़ने दिया गया। अंदर जाने वाली सड़क को  दोनों ओर से बंद कर दिया गया। पुरातत्व विभाग के सर्किल अॉफिसर सतेंद्र कुमार ने बताया कि आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। आग जंगल के पेड़ों में लगी है।

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