टाफी-बिस्कुट के नाम पर करते थे नकली दवाओं की बुकिंग, सामने आया पूर्वांचल और गुजरात कनेक्शन
नकली दवा और इंजेक्शन की आपूर्ति करने वाले गिरोह का सरगना फरार हो गया पुलिस को लखनऊ में गोदाम से 2.50 करोड़ का माल मिला है। हत्थे चढ़े गिरोह के सदस्य ने पुलिस को कई अहम जानकारियां दी हैं।
कानपुर, जेएनएन। क्राइम ब्रांच ने लखनऊ के अमीनाबाद में कसाईबाड़ा और भानुमती चौराहा माडल हाउस के पास नकली और नशीली दवाओं के गोदाम से एक आरोपित की गिरफ्तारी के साथ करीब ढाई करोड़ का माल बरामद किया है। इसे लखनऊ के सरगना ने महज 25 लाख रुपये में खरीदा था। आरोपित से पूछताछ में सामने आया कि शातिर टाफी और बिस्कुट के नाम से नकली दवाओं की आर्डर बुकिंग और सप्लाई का काम करते थे। कुछ ही समय में नकली दवा के कारोबार से लाखों का कर्जदार अब करोड़ों रुपये का मालिक हो गया है। पुलिस लखनऊ के सरगना के बैंक खाते खंगालने में जुटी है।
छापेमारी की सूचना पर गोदाम संचालक लखनऊ का सरगना मनीष मिश्रा मौके से भाग निकला था। टीम ने मौके से सचिन को गिरफ्तार किया। टीम ने दोनों गोदाम से 18 प्रकार की दवाएंं बरामद कीं। क्राइम ब्रांच ने गोविंद नगर और लखनऊ के गोदाम से बरामद दवाओं की डबल सैंपलिंग कराई है। एक सेट जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा। दूसरे सेट को संबंधित कंपनी की लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा। छानबीन सामने आया है कि सरगना के ऊपर कुछ समय पहले करीब 50-60 लाख रुपये का कर्ज था। नकली दवा के कारोबार करने के बाद कर्ज में डूबा मनीष अब करोड़ों का मालिक बन गया है।
ये दवाएं बरामद : टैक्सिम, आइटी मैक, क्रूसेफ, पेनटाप, जिफी, ड्यूनेम, कानकेफ, एजीरिस, शेलकोल, ओमेज, मोनोसेफ, वेजीथ्रो, नोवार्टिस, डेका डूयराबोलिन, एसीलाक डी, वीसेफ, वी माक्सो, मेफटालपस।
इस तरह होती थी आर्डर बुकिंग : शातिर बाजार से आर्डर लेने और भेजने के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे। इसी के नाम से पर्चे आदि बनाए जाते थे। नकली एंटीबायोटिक टेबलेट जिफी को शातिर पारलेजी और पेनटाप दवा को कैडबरी के नाम से बुलाते थे।
अलग-अलग स्थानों से बनवाते थे नकली दवाएं : शातिर पांच-छह वर्षों से नकली दवाओं और इंजेक्शन का कारोबार कर रहे हैं। सचिन से पूछताछ में सामने आया है कि नकली दवाएं भी दो तरह से तैयार की जाती है। एक पूरी तरह से नकली दवा होती है, जिसमें खडिय़ा के सिवा कुछ और नहीं होता। दूसरी नकली दवाओं में 10 से 20 फीसद साल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। अलग-अलग साल्ट की दवाएं अलग-अलग स्थानों से बनवाते थे। उत्तराखंड के देहरादून, मेरठ, मुजफ्फरनगर, हिमाचल प्रदेश के के बद्दी से नकली दवाएं बनवाते थे।
जिसकी डिमांड बढ़ती उसी की कराते मैन्युफैक्चरिंग : क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक जिस दवा की डिमांड बढ़ती थी उसकी ही नकली दवा की मैन्युफैक्चरिंग कराई जाती है। कोरोना काल में नकली एंटीबायोटिक जिफी बनवाई थी।
पूर्वांचल और गुजरात से जुड़े तार : नकली और नशीली दवा कारोबार के तार पूर्वांचल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश से जुड़े होने के बात सामने आई है। वाराणसी, प्रयागराज समेत अन्य जिलों में छापेमारी के लिए चार टीमें बनाई जा रही हैं।
यह है मामला : नशीली दवाओं के खेप आने की सूचना पर क्राइम ब्रांच ने गोविंद नगर पुलिस के साथ दबौली टेंपो स्टैंड के पास जगईपुरवा निवासी पिंटू गुप्ता उर्फ गुड्डू और बेकनगंज निवासी आसिफ मोहम्मद खां उर्फ मुन्ना को दबोचा था। आरोपितों के पास 17,770 नाइट्रावेट और 48 हजार टेबलेट नकली जिफी बरामद हुई थी। इनकी निशानदेही पर लखनऊ में छापेमारी की गई।