कानपुर में पूरा टैक्स देकर भी वाहन सवार जान जोखिम में डालकर चल रहे, अधिकारियों ने मूंदीं आंखें
शहर की सड़कें सुधर नहीं रही हैं। शहर में फजलगंज मसवानपुर परेड से मूलगंज के बीच सड़कें चलने लायक नहीं हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि इतना टैक्स लेने के बाद भी सरकार सुध नहीं ले रही है तो कम से कम पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में ही ले आए
कानुपर, जेएनएन। हर साल पेट्रोल और डीजल पर करीब 1,581 करोड़ रुपये का टैक्स देने के बाद भी कानपुर की सड़कें बदहाल हैं। उत्पाद कर व रोड सेस देने के बाद भी सड़कें दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं। हालत यह है कि खुद ट्रांसपोर्ट नगर में चालक बारिश में ट्रक लेकर घुसने में घबराते हैं। दोपहिया वाहन व कार चालकों को बारिश में सड़कों पर पानी भरने के बाद यह भी पता नहीं चलता कि गड्ढा कितना गहरा है। इन गड्ढों में गिरने से कई बार दोपहिया वाहन चालक जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी शहर की सड़कें सुधर नहीं रही हैं। शहर में फजलगंज, मसवानपुर, परेड से मूलगंज के बीच सड़कें चलने लायक नहीं हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि इतना टैक्स लेने के बाद भी सरकार सुध नहीं ले रही है तो कम से कम पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में ही ले आए, ताकि महंगाई से ही राहत मिल सके।
प्रति वर्ष पेट्रोल, डीजल की खपत व टैक्स की स्थिति (अनुमानित) 240 हजार किलोलीटर पेट्रोल की खपत। 120 हजार किलोलीटर डीजल की खपत। 3317 करोड़ रुपये की पेट्रोल व डीजल की कुल बिक्री। 2259 करोड़ रुपये की पेट्रोल की बिक्री। 477 करोड़ रुपये पेट्रोल पर वैट। 441 करोड़ रुपये पेट्रोल पर उत्पाद कर। 192 करोड़ पेट्रोल पर रोड सेस। 1057 करोड़ डीजल की कुल बिक्री। 157 करोड़ डीजल पर वैट। 217 करोड़ डीजल पर उत्पाद कर। 96 करोड़ डीजल पर रोड सेस।
इनका ये है कहना
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने की मांग तो हो रही है, लेकिन सरकारें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने की मंशा नहीं रखतीं जब वह चाहती हैं इनकी कीमतें बढ़ा देती हैं।- मनीष कटारिया, महामंत्री, यूपी मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन