Etawah Safari का माहौल काले मृग व चीतल को आ रहा रास, पांच साल में दाेगुनी हुई वंशबेल

Etawah Safari Latest News सफारी पार्क में 10 नर और 10 मादा काले मृग और इतने ही चीतल को कानपुर और लखनऊ चिडिय़ाघर से लाया गया था। उसके बाद से पांच सालों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:05 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 05:39 PM (IST)
Etawah Safari का माहौल काले मृग व चीतल को आ रहा रास, पांच साल में दाेगुनी हुई वंशबेल
इटावा सफारी पार्क में विचरण करते काले मृग।

इटावा, [गौरव डुडेजा]। Etawah Safari Latest News काले मृग (एंटीलोप) व चीतल (स्पॉटेड डियर) को इटावा सफारी पार्क का माहौल खूब रास आया है। यहां सुरक्षा और भोजन की प्रचुरता की वजह से इनकी वंशबेल बीते पांच साल में तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2016 में डियर सफारी के शुभारंभ पर यहां 20-20 काले मृग व चीतल लाए गए थे। अब काले मृग 77 व चीतल 50 हो चुके हैैं। सफारी में डियर की उछलकूद देखने के लिए खासी संख्या में दर्शक आ रहे हैैं। इन वन्यजीवों की संख्या के साथ पर्यटक बढऩे से सफारी के अधिकारी उत्साहित हैैं। 

सफारी पार्क में 10 नर और 10 मादा काले मृग और इतने ही चीतल को कानपुर और लखनऊ चिडिय़ाघर से लाया गया था। उसके बाद से पांच सालों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। मादा काला मृग व चीतल गर्भधारण के बाद साढ़े पांच माह में बच्चों को जन्म देती है। यही कारण है कि इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सफारी पार्क में हिरनों की सबसे बड़ी प्रजाति सांभर की संख्या भी अब 13 हो गई है। इन्हेंं भी वर्ष 2016 में जब लाया गया था तो इनकी संख्या 9 थी। इनका गर्भाधारण काल साढ़े आठ माह का होता है।

शेड्यूल-1 श्रेणी के जानवर हैं: काला मृग व चीतल केंद्र सरकार के वन्यजीव अधिनियम 1971 के अंतर्गत शेड्यूल-1 श्रेणी के वन्यजीव हैं। ये खुले मैदानों में रहते हैं जिसके कारण इनका शिकार हो जाता है। सर्वाधिक चीते ही इनका शिकार करते हैैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इन्हेंं संरक्षित करने के लिए शेड्यूल-1श्रेणी में रखा है। इटावा सफारी पार्क में इनको संरक्षण के उद्देश्य से लाया गया है। काले मृग को कृष्ण मृग भी कहा जाता है और यह अपनी खूबसूरती के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। इनका शिकार भी प्रतिबंधित है। 

इनका ये है कहना: 

इटावा सफारी पार्क में काले मृग व चीतल की संख्या बढ़ोत्तरी सुखद है। इसका प्रमुख कारण इन्हेंं पर्याप्त भोजन व सुरक्षा मिलना है। संरक्षण होने के कारण इनके गर्भाधान में कोई व्यवधान नहीं आता है। संख्या बढऩे पर इन्हेंं देश के अन्य चिडिय़ाघरों में भी भेजा जाता है। - अरुण कुमार सिंह, उपनिदेशक इटावा सफारी पार्क

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