इटावा में बुखार से लगातार हो रही मौत, मेडिकल विभाग नहीं मान रहा डेंगू का प्रकोप

जसवंतनगर तहसील क्षेत्र में सितंबर से मौतों का सिलसिला चल रहा है। कोल्ड स्टोर एवं आरा मशीन व्यवसायी रामनरेश यादव के पुत्र शिवम की मौत के साथ मौत का आंकड़ा 25 तक पहुंच गया। शिवम की तरह मंगलवार को ही श्वेता सिंह की भी बुखार से मृत्यु हुई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 04:56 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 04:56 PM (IST)
इटावा में बुखार से लगातार हो रही मौत, मेडिकल विभाग नहीं मान रहा डेंगू का प्रकोप
इटावा में बुखार से लगातार मौत हो रही हैं।

इटावा, जेएनएन। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भले ही डेंगू के प्रकोप को नकार रहा हो, लेकिन जिस प्रकार सितंबर से नगर से लेकर गांवों में मौत का सिलसिला जारी है, उससे साफ है कि विभाग अपनी नाकामी पर परदा डालने की कोशिश कर रहा है। मरने वालों में अधिकांश बच्चे और किशोर हैं। जिनमें डेंगू, वायरल और मलेरिया बुखार के लक्षण पाए गए। स्वास्थ्य विभाग पैथोलाजिक जांचों का सहारा लेकर यह साबित करने में अपनी इतिश्री मान रहा कि अमुक मौत डेंगू से नहीं हुई है।

जसवंतनगर तहसील क्षेत्र में सितंबर से मौतों का सिलसिला चल रहा है। कोल्ड स्टोर एवं आरा मशीन व्यवसायी रामनरेश यादव के 13 वर्षीय पुत्र शिवम की मौत के साथ मौत का आंकड़ा 25 तक पहुंच गया। शिवम की तरह मंगलवार को ही ग्राम देवीपुरा निवासी 25 वर्षीय श्वेता सिंह पुत्री मनोज कुमार की भी बुखार से मृत्यु हुई है। अब तक खेड़ा बुजुर्ग, धौलपुर खेड़ा, कोकावली, नगला विशुन, मलाजनी में दो-दो, बलरई में तीन, नगर के लुधपुरा में तीन, नगला अर्जुन में तीन, कैस्त, नगला तौर व कुंजपुरा में एक-एक की जान पिछले एक महीने में गई है।

डाक्टर्स भी जांचों पर निर्भर: यकायक बुखार और उसके बाद हालत बिगड़ने पर लोग अपने मरीज को डाक्टर्स के यहां लेकर पहुंचते हैं। पहले तो मरीजों की भीड़ के चलते घंटों बाद नंबर आता, फिर डाक्टर पहले बुखार उतारने की दवा देते और टेस्ट की फेहरिस्त थमा देते। बुखार दवा से नहीं जाता व टेस्ट की रिपोर्ट 24 और 36 घंटों के बाद आती, तब तक मरीज मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाता है।

पैथोलाजी सेंटर्स भी अविश्वसनीय: ज्यादातर अनाधिकृत पैथोलाजी सेंटर्स संचालित होने की वजह से उनकी जांच रिपोर्टें अविश्वसनीय हैं। ऐसे सेंटर मरीजों-तीमारदारों की जेब काट रहे हैं। प्लेटलेट्स काउंट भी भिन्न-भिन्न बता रहे हैं। इससे मरीजों की जान का जोखिम बढ़ जाता है। प्रशासनिक अधिकारियों ने पिछले दिनों एक-दो जगह छापे मारकर इतिश्री कर ली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डा. सुशील कुमार का कहना है कि क्षेत्र में हुई प्रत्येक मौत को डेंगू नहीं कहा जा सकता। जो सैंपल सैफई मेडिकल कालेज से डेंगू जांच में कन्फर्म होकर आते हैं, उन्हें डेंगू के तहत इलाज के लिए सैफई रेफर किया जाता है।

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