ईपीएफओ ने भेजा ऐसा एसएमएस कि कार्यालय में उमड़ पड़े बुजुर्ग

कार्यालय में जुटी भारी भीड़, बिना समस्या समाधान के अधिकांश पेंशनर्स बैरंग लौटे।

By Edited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 01:45 AM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 12:26 PM (IST)
ईपीएफओ ने भेजा ऐसा एसएमएस कि कार्यालय में उमड़ पड़े बुजुर्ग
ईपीएफओ ने भेजा ऐसा एसएमएस कि कार्यालय में उमड़ पड़े बुजुर्ग
कानपुर (जागरण संवाददाता)। नया साल शुरू होने से पहले ही पेंशन भोगी प्राइवेट कर्मचारियों की समस्याओं का दौर भी शुरू हो गया है। जीवन प्रमाणपत्र के लिए ईपीएफओ द्वारा भेजे गए एक मैसेज के बाद सोमवार को क्षेत्रीय कार्यालय में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बिना समस्या समाधान आधे से अधिक बुजुर्गो को वापस लौटना पड़ा। इससे बुजुर्गो में आक्रोश भी है।
दीपावली के चलते कार्यालयों में लंबा अवकाश रहा। इस बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा एक एसएमएस सभी पेंशनभोगियों को भेजा, जिसमें उन्हें एक नवंबर से जीवन प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाने को कहा गया। अवकाश के बाद सोमवार को कार्यालय के खुलते ही सैंकड़ों की संख्या में पेंशनभोगी ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंच गए। अत्यधिक भीड़ होने की वजह से आधे लोगों का काम हो सका, जबकि आधे लोगों को विभिन्न कारणों से वापस लौटना पड़ा।
कोई विकल्प नहीं कर रहा है काम जीवन प्रमाणपत्र के लिए पेंशनर्स कई विकल्पों का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय कार्यालय आने की जरूरत ही नहीं पड़े। मगर, पेंशनर्स की मानें तो एक भी विकल्प काम नहीं कर रहा है। सोमवार को क्षेत्रीय कार्यालय में भी सर्वर डाउन रहने से घंटों इंतजार करना पड़ा। वहीं उमंग पर पिछले पांच दिनों से काम नहीं हो रहा है। एप भी सुविधाजनक नहीं है और जनसुविधा केंद्र मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। ऐसे में पेंशनर्स के सामने क्षेत्रीय कार्यालय का चक्कर काटने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।
पेंशनर्स का दर्द
डीएस यादव ने कहा कि पूरा दिन खराब हो गया और कोई लाभ नहीं हुआ। उमंग के काम नहीं करने की वजह से यहां तक आना पड़ा। संजीव शर्मा ने कहा किउम्र हो गई है। थंब इम्प्रेशन अब नहीं आता। रेटिना के लिए कहा तो बताया गया कि मशीन खराब है। अगर पेंशन बंद हो गई तो क्या करेंगे।डी राड्रिक्स ने कहा किकोई विकल्प काम नहीं कर रहा है। जन सुविधा केंद्र वाले मनमाना शुल्क मांगते हैं। बैंक भी सहयोग नहीं कर रहा है। केजी शुक्ला ने कहा कि पूरे दिन चक्कर काटने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। एक हजार रुपये से कम पेंशन के लिए जिस तरह भटकना पड़ रहा है वह ठीक नहीं है। 
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