ईओडब्ल्यू ने शुरू की आगरा कॉलेज में गबन की जांच, प्राचार्य समेत कई प्रोफेसरों पर दर्ज है मुकदमा

आगरा कॉलेज में फर्जी कोटेशन से लाखों-करोड़ों के माल की खरीद कर ली गई थी जिसमें शारीरिक शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर की शिकायत पर तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता समेत पांच प्रोफेसरों पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 03:11 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 03:11 PM (IST)
ईओडब्ल्यू ने शुरू की आगरा कॉलेज में गबन की जांच, प्राचार्य समेत कई प्रोफेसरों पर दर्ज है मुकदमा
आगरा कॉलेज में सामने आया था गबन का मामला।

कानपुर, जेएनएन। आगरा कॉलेज में फर्जी कोटेशन के आधार पर लाखों रुपये के गबन के मामले में प्राचार्य समेत कई प्रोफेसरों के खिलाफ दर्ज मुकमदे की जांच अब आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुरू की है। आगरा पहुंचकर टीम ने मामले में दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। पिछले वर्ष लोहा मंडी थाने में आगरा कॉलेज के शारीरिक शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डीपी शर्मा ने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया था।

एमजी रोड साहित्यकुंज निवासी डीपी शर्मा की तहरीर में कहा है कि आगरा कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ने अपने सहयोगियों के साथ ई-टेंडर और जेम पोर्टल का उपयोग किए बिना ही करोड़ों रुपयों की अवैधानिक खरीद-फरोख्त और व्यय दर्शाकर चार से छह करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर अर्जित किए। डीपी शर्मा ने छह जुलाई 2018 को जिलाधिकारी आगरा को और 27 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर शिकायत की थी। शिकायती पत्र पर डीएम ने तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई। इसमें मुख्य विकास अधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट, मुख्य कोषाधिकारी ने जांच की। वहीं शासन की ओर से राजकीय महिला महाविद्यालय आंवलखेडा आगरा के प्राचार्य प्रोफेसर संजीव भारद्वाज ने जांच की।

तहरीर के मुताबिक जांच में उल्लेख किया गया है कि एक ही कोटेशन के आधार पर लाखों /करोड़ों रुपये की खरीद की गई, जबकि खरीद टेंडर के माध्यम से होनी चाहिए थी। कई वस्तुओं की खरीदारी तो बिना कोटेशन से की गई। इससे गंभीर वित्तीय अनियिमिता, अभिलेखों मे हेराफेरी प्रमाणित हुई। वहीं डॉ. संजीव भारद्वाज की जांच में छात्रावास की मेस का धन जमा न होने के संबंध में आरोप प्रमाणित हुए और सेमिनार के नाम पर लगभग दो लाख रुपये धनराशि गबन का आरोप प्रमाणित हुआ।

इनके खिलाफ दर्ज हुई थी रिपोर्ट

आगरा कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, तत्कालीन डीन इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलजी संकाय डॉ. एसी अग्रवाल, प्रभारी केंद्रीय क्रय समिति विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान डॉ. पीबी झा, मुख्य संरक्षक छात्रावास एसोसिएट प्रोफेसर भौतिक विज्ञान डॉ. बीके चिकारा, संयोजक सेमिनार विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर राजनीति शास्त्र डॉ. अरुणोदय बाजपेई।

जांच में सामने आया खर्च

आफिस मद में 11.21 लाख रुपये की खरीद, फायर फाइटिंग, बायोमीट्रिक मशीन, वाटर कूलर एंड आरओ, एयर कंडीशनर, हैंडपंप कार्य, लाइब्रेरी की किताबें, प्रिंटिंग एक्सपेंसेज, कॉलेज डायरी, फर्नीचर, स्पीकर सिस्टम, प्रोजेक्टर, स्टील चेयर, रिपेयर एंड मेंटेनेंस अॉफ इक्विपमेंट की खरीदारी हुई। वहीं 68.51 लाख रुपये के व्यय की पत्रावलियां उपलब्ध नहीं मिलीं।

शासन ने आगरा कॉलेज में खरीदारी व अन्य कार्यों में अनियमितता और गबन के आरोप में दर्ज मुकदमे की विवेचना ईओडब्यू को सौंपी है। पत्रावलियां व अन्य जरूरी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, विवेचना के बाद आगे की कार्रवाई होगी। - बाबूराम, एसपी ईओडब्ल्यू।

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