कानपुर में कैटल दस्ते के सुस्त होते ही फैलने का लगा अतिक्रमण का जाल, सड़क से फुटपाथ हुए गायब
ग्वालटोली अहिराना और शास्त्रीनगर में नाले और सीवर लाइन में गोबर डालते है इससे क्षेत्र में नाला और सीवर लाइन चोक है। तीन साल से चट्टों को शहर से बाहर करने का अभियान चला रहा है लेकिन अफसरों की ढिलाई के चलते अभियान ठंडा पड़ा है।
कानपुर, जेएनएन। शहर की सड़कों पर से कई बार नगर निगम की टीम ने अभियान चलाकर अतिक्रमण को हटाया है, लेकिन ये बात भी सच है कि कुछ ही दिन बाद फिर से अतिक्रमणकारी उसी स्थान पर अपना ठिकाना फिर बना लेते हैं। इसे शासन की लचर व्यवस्था कहेंगे या फिर कुछ और ये तो जांच का विषय है। पर अगर ऐसा ही होता रहा तो एक दिन फुटपाथ हमारे लिए इतिहास बनकर रह जाएगा।
चट्टे वालों ने शुरू कर दिया भैंसे बांधना : नगर निगम के कैटल कैचिंग दस्ते के शांत बैठने के साथ ही फिर चट्टे वालों ने फुटपाथ और सड़क पर कब्जा कर लिया है। विकास नगर, स्वरूप नगर, बर्रा, धोसियाना चमनगंज समेत कई जगह चट्टे वालों ने फिर से भैंसे बांधना शुरू कर दिया है। महापौर प्रमिला पांडेय द्वारा चलाए गए अभियान के बाद शहर से कई चट्टे हट गए थे। दो सौ से ज्यादा चट्टे हटाए गए थे। कोरोना की कहर के बाद अभियान शांत होने के लाभ चट्टे वालों ने उठाकर फिर से सड़क और फुटपाथ पर कब्जा कर लिया है। नवाबगंज, शास्त्रीनगर, हरबंश मोहाल, बर्रा, किदवईनगर, श्यामनगर, दादानगर समेत कई जगह चट्टे वालों ने सड़क पर गोबर डालना शुरू कर दिया है।
ग्वालटोली, अहिराना और शास्त्रीनगर में नाले और सीवर लाइन में गोबर डालते है इससे क्षेत्र में नाला और सीवर लाइन चोक है। तीन साल से चट्टों को शहर से बाहर करने का अभियान चला रहा है लेकिन अफसरों की ढिलाई के चलते अभियान ठंडा पड़ा है। महापौर ने खुद निकल दो सौ चट्टे हटवाए। कोरोना का बहाना बनाकर कैटल कैचिंग ने लगभग ढाई माह से कोई भी चट्टा हटाने का अभियान नहीं चलाया है न हीं चट्टे वालों को नोटिस दी गयी है। इसके चलते हौसलें बुलंद है।