Earth Day 2021: कानपुर में बढ़ता जा रहा प्रदूषण, अभी नहीं हुए सावधान तो चुकानी पड़ेगी कीमत

Earth Day 2021 विश्व पृथ्वी दिवस पर बैठकें होगी पर्यावरण दुरुस्त करने का खाका तैयार होगा लेकिन बैठक के बाद सब भूल जाएंगे। मेट्रो रूट पर कल्याणपुर -बिठूर रोड निर्माण मैनावती मार्ग से ङ्क्षसहपुर जरीब चौकी से विजय नगर में चौड़़ीकरण में पौधे हटाए गए।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:50 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 05:35 PM (IST)
Earth Day 2021: कानपुर में बढ़ता जा रहा प्रदूषण, अभी नहीं हुए सावधान तो चुकानी पड़ेगी कीमत
विश्व पृथ्वी दिवस से संबंधित सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। Earth Day 2021 हर वर्ष आने वाले अर्थ डे पर औपचारिकताओं को पूरा कर हम अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं,लेकिन वह समय दूर नहीं जब सांस लेने के लिए ऑक्सीजन भी खरीदनी पड़ेगी। तेजी से बन रहे कंक्रीट के जंगल, धरती से निकाला जा रहा भूगर्भ जल और गायब हो रही हरियाली के कारण दुनियाभर में प्रदूषण विकराल हो रहा है। शहरों की सीमाओं का होता विस्तार और गांवों की गायब होती हरियाली ने चेतावनी दे दी है। गंगा सहित अन्य नदियां व नहरें सूख रहीं हैं। इमारतें खड़ा करने के लिए भू-माफिया डूब क्षेत्र को कब्जा कर बेचे रहे हैं। हजारों पेड़ कटकर यहां पर इमारतें बनवाई जा रहीं हैं। सांस लेने के साथ ही पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। विश्व पृथ्वी दिवस पर बैठकें होगी, पर्यावरण दुरुस्त करने का खाका तैयार होगा लेकिन बैठक के बाद सब भूल जाएंगे। मेट्रो रूट पर, कल्याणपुर -बिठूर रोड निर्माण, मैनावती मार्ग से ङ्क्षसहपुर, जरीब चौकी से विजय नगर में चौड़़ीकरण में पौधे हटाए गए।

गंगा के डूब क्षेत्र में चारों तरफ हरियाली की जगह ईंट, मौरंग और बालू का ढेर लगा हुआ है। नदियों का किनारा पाटने से भू-गर्भ जल का स्तर भी गिर रहा है।

पांडु नदी - नदी के किनारे पर कब्जा करने के लिए पेड़ काटकर मकान खड़े कर दिए गए हैं। पांडु नदी में सीधे गंदा पानी डाल रहे है।

नहरेंं भी सूखीं - दादानगर और पनकी नहर सूखने के कारण शहर में जलापूर्ति का संकट खडा हो गया है।

भूगर्भ जल का हो रहा दोहन सरकारी नलकूप - 165 दोहन होता - दस करोड़ लीटर सबमर्सिबल पंप - 2.50 लाख रोज दोहन होता - पचास करोड़ लीटर (एक सबमर्सिबल पंप से दो हजार के हिसाब से) हैंडपंप लगे - 15 हजार जल दोहन - पांच करोड़ लीटर दस साल में शहर का गिरा जलस्तर दस साल पहले हैंडपंप लगते थे- 100 फीट पर पांच साल पहले - 150 फीट अब - 250 फीट

27 लाख पौधे,पर शहर में छांव नहीं: पिछले साल वन विभाग ने शहर में पांच सौ हेक्टेयर भूमि पर 27 लाख पौधे लगाए थे। इसमें से 95 फीसद पौधे सुरक्षित हैं। हर साल सभी विभाग लाखों पौधे लगाते हैं। पांच साल में पचास लाख पौधे भी लग गए तो अंदाजा लगा सकते है कि पूरा शहर हराभरा दिखने लगेगा, लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है। नगर निगम के एक लाख 20 हजार एवं आवास विकास, औद्योगिक विकास, नगर विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग, विद्युत विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, प्राविधिक शिक्षा विभाग, श्रम विभाग व परिवहन विभाग समेत अन्य विभागों के एक-एक लाख से अधिक पौधों के बावजूद भी शहर में पूरी तरह हरियाली नहीं दिखती है।

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