धूल, धुआं और प्रदूषण से हो रही है आंखों में एलर्जी, चश्मा पहनकर ही घर से निकलें Kanpur News
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष महेंद्रा ने जागरण के हेलो डॉक्टर में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए दी राय।
कानपुर, जेएनएन। धूल, धुआं और हानिकारक गैसों से आंखों में लाली, आंसू और कीचड़ की समस्या बढ़ रही है। अल्सर भी हो सकता है। लिहाजा, अच्छी क्वालिटी का चश्मा पहनकर निकलें। बुधवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष महेंद्रा ने पाठकों को यही सलाह दी। पेश हैैं अंश...।
पूछे गए सवाल व उनके जवाब
प्रश्न- उम्र 56 है। धुंधला दिखता हैै, क्या करूं? -अशोक तिवारी, शुक्लागंज।
उत्तर -मोतियाबिंद हो सकता है। जांच करा लें।
प्रश्न-उम्र 36 वर्ष है। आंखें फड़कती रहती हैं। -रामजी मिश्रा, विनोद नगर
उत्तर-सूखापन से आंख फड़कने की समस्या होती है। डॉक्टर को दिखाएं।
प्रश्न-आंखें लाल रहती हैं। सुबह उठने पर कीचड़ और चिपक जाती हैं। -सत्येंद्र सचान, कानपुर नगर
उत्तर-आंखों में इंफेक्शन है। जांच कराएं।
प्रश्न-आंखों का ऑपरेशन हो चुका है। नेत्रदान कर सकते हैं? -अशोक दीक्षित, यशोदा नगर
उत्तर-कर सकते हैैं। नेत्रदान से मोतियाबिंद ऑपरेशन का कोई संबंध नहीं।
प्रश्न-उम्र 15 साल है। पांच-छह महीने में चश्मे का पावर बढ़ रहा है। -आरएन मिश्रा, जूही लाल कॉलोनी।
उत्तर-18 की उम्र के बाद पावर स्थिर हो जाएगा। छह-छह माह में जांच कराते रहें।
प्रश्न-आंखों में छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। - स्तुति मिश्रा, बादशाही नाका।
उत्तर - धूल, धूप और धुआं से बच कर रहें। एंटी एलर्जी ड्रॉप डालें।
प्रश्न-क्या दोनों आंखों में मल्टी फोकल लेंस लगवा सकते हैं? -अमिता शुक्ला, अशोक नगर।
उत्तर-रेटिना स्वस्थ है तो जरूर लगवा सकते हैं। एक आंख में मल्टी फोकल लेंस लगा है तो दूसरे में भी वही चुनें।
प्रश्न-मेरी दादी को ग्लूकोमा है। - शिखा, बर्रा।
उत्तर- दवा असर न करे तो ऑपरेशन कराएं। दूसरे किस्म के ग्लूकोमा का लेजर से इलाज संभव है।
प्रश्न-मधुमेह है। साफ दिखता भी नहीं? -पपन बाजपेई, कल्याणपुर खुर्द।
उत्तर- मधुमेह का असर आंखों पर पड़ता है। ठीक से जांच कराएं।
प्रश्न-बायीं आंख से धुंधला दिखने लगा है? - एके शुक्ला, यशोदा नगर।
उत्तर- रेटिना में सूजन, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज से यह होता है। चेक कराएं।
प्रश्न-रतौंधी का इलाज संभव है।- दीपक अवस्थी, हालसी रोड।
उत्तर- रतौंधी पर रिसर्च चल रही है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट पर काम चल रहा है, पर अभी पूर्ण इलाज नहीं है।