Dussehara Special: कानपुर का अनोखा मंदिर; जहां विराजमान हैं दशानन, दशहरा पर ही मिलते दर्शन
Dussehra 2021 यहां कानपुर ही नहीं बल्कि उन्नाव कानपुर देहात फतेहपुर आदि जिलों से लोग दशानन का पूजन करने आते हैं।पहले तो नवरात्र की सप्तमी अष्टमी और नवमी तिथि को छिन्नमस्ता मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते थे।
कानपुर, जेएनएन। Dussehra 2021 विजय दशमी पर 15 अक्टूबर को भारत के कोने- कोने में लंकाधिराज रावण के पुतले का दहन होगा। असत्य पर सत्य की जीत के रूप में उत्सव मनाया जाएगा और मेलों का आयोजन भी होगा, लेकिन शहर का एक ऐसा भी स्थान है जहां रावण के पुतले का दहन नहीं बल्कि पूजन होगा। यह स्थान है कैलाश मंदिर शिवाला। यहां शिव और शक्ति के मंदिर के बीच में ही दशानन का भी मंदिर है। यह मंदिर माता छिन्नमस्ता के गेट पर ही रावण का मंदिर है। विजय दशमी के दिन सुबह श्रृंगार और पूजन के साथ ही दूध, दही, घृत, शहद, चंदन, गंगा जल आदि अभिषेक किया जाएगा।
स्व. गुरु प्रसाद शुक्ला ने डेढ़ सौ वर्ष पहले मंदिरों की स्थापना कराई थी। तब उन्होंने मां छिन्नमस्ता का मंदिर और कैलाश मंदिर की स्थापना कराई थी। मंदिर में मां छिन्नमस्ता के साथ ही मां काली, मां तारा , षोडशी, भैरवी, भुनेश्वरी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला महाविद्या के साथ ही दुर्गा जी, जया, विजया, भद्रकाली , अन्नपूर्णा, नारायणी, यशोविद्या, ब्रह्माणी, पार्वती, श्री विद्या, देवसेना, जगतधात्री आदि देवियां यहां विराजमान हैं। शक्ति के भक्त के रूप में यहां रावण की प्रतिमा स्थापित की गई। लंकेश के दर्शन को यहां दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं। भक्त भगवान शिव का अभिषेक करते हैं और फिर दशानन का अभिषेक और महाआरती की जाती है। सुहागिनें इस मंदिर में तरोई का पुष्प अर्पित कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। मां भक्त मंडल के संयोजक केके तिवारी का कहना है कि मंदिर में दशानन की 10 सिर वाली प्रतिमा है। दशानन का फूलों से श्रृंगार किया जाता है। सरसों के तेल का दीपक जलाया कर आरोग्यता, बल , बुद्धि का वरदान मांगा जाता है। पहले तो नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को छिन्नमस्ता मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते थे, लेकिन अब इन तिथियों पर मंदिर प्रबंधन ही भगवती का पूजन करता है। यहां कानपुर ही नहीं बल्कि उन्नाव, कानपुर देहात, फतेहपुर आदि जिलों से लोग दशानन का पूजन करने आते हैं।