सड़क चौड़ीकरण के लिए मिट्टी डंप करने से फैक्ट्रियों में भरा पानी : आइआइए

उद्यमियों की बैठक में उठाया गया मुद्दा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 02:11 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 02:11 AM (IST)
सड़क चौड़ीकरण के लिए मिट्टी डंप करने से फैक्ट्रियों में भरा पानी : आइआइए
सड़क चौड़ीकरण के लिए मिट्टी डंप करने से फैक्ट्रियों में भरा पानी : आइआइए

कानपुर : अलीगढ़ नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के दौरान निकलने वाली मिट्टी को किनारे-किनारे एक जगह डंप करने से जलभराव की स्थिति उत्पन्न हुई है। यह पीड़ा है चौबेपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों की। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) चौबेपुर चैप्टर के अध्यक्ष एसबी जाखोटिया की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उद्यमियों की बैठक में उनका दर्द झलक उठा।

अध्यक्ष एसबी जाखोटिया ने बताया कि नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) सड़क का चौड़ीकरण कर रहा है इससे निश्चित रूप से राहगीरों को लाभ मिलेगा। इसके लिए ऐसी योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिससे हाइवे के किनारे आने वाली औद्योगिक इकाइयों को दिक्कत न हो। हाईवे बनाने के चलते मिट्टी खोदाई की गई है उसे इस प्रकार भर दिया गया है जिससे बारिश का पानी रुककर उद्योगों में जा रहा है। दो दिन हुई बारिश में कई फैक्ट्रियों में इतना पानी भर गया कि उद्यमियों का काफी नुकसान हुआ है। अमिलिहा, मंधना और चौबेपुर में आने वाली इकाइयों पर इसका असर पड़ा है। इस बारे में संबंधित अधिकारियों को उद्यमियों की पीड़ा समझकर उस पर ध्यान देना चाहिए। बैठक में चैप्टर के पूर्व चेयरमैन परिमल बाजपेयी, कोषाध्यक्ष रोहित गर्ग, उमेश सक्सेना, नीलेश त्रिपाठी, अविरल बाजपेयी व शोभित त्रिपाठी समेत अन्य उद्यमी मौजूद रहे।

जयपुर की तर्ज पर वाटर स्का़डा सिस्टम लगाया जाए, अध्ययन को एक टीम गठित

जासं, कानपुर : मंडलायुक्त डा राजशेखर ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जलकल मुख्यालय में जयपुर की तर्ज पर बन रहे वाटर स्काडा के नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण किया। इस दौरान मंडलायुक्त ने स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी, जल निगम, जलकल, कार्य एजेंसी, और आइआइटी सलाहकार की एक टीम को 15 अगस्त तक जयपुर का दौरा करने और वहां लागू वाटर स्काडा कार्य का अध्ययन करने के लिए कहा है। गुरुवार को जलकल मुख्यालय में निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त ने कहा कि नई तकनीकों का उपयोग करके जहां भी संभव हो जल संरक्षण और जल और बिजली का बेहतर उपयोग पर अधिक से अधिक जोर दिया जाए। इस योजना से बड़ी मात्रा में पेयजल संरक्षण और बचत होगी। 21 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना तैयार की जाएगी। डेवलपर योकोगावा कंपनी इस पर कार्य कर रही है। परियोजना नवंबर 2021 तक पूरी करने के आदेश दिए। कंपनी को ही पांच साल तक सिस्टम का रखरखाव करेगी। अभी तक 37 फीसद कार्य हुआ है।

वाटर स्काडा सिस्टम : स्काडा एक साफ्टवेयर है, जिससे जलकल को एक जगह बैठे पानी सप्लाई की सही जानकारी मिल जाएगी। सिस्टम को सबसे पहले पानी की पाइप लाइन पर लगाकर चेक करेगा। इससे पता चलेगा कि एक पंपिग स्टेशन से कितना पानी किस बूस्टर में गया, इसके अलावा बूस्टरों में कितना पानी है और ये पानी कितनी मात्रा में पाइप लाइन से किस क्षेत्र में जा रहा है। अगर पाइप लाइन में लीकेज हो तो ये साफ्टवेयर आसानी से बता देगा। इसकी पूरी जानकारी संबंधित अधिकारी के मोबाइल पर आती रहेगी। कौन सी मोटर कितनी बिजली की खपत ले रहा है। कहां पर कितने पावर की मोटर लगाई जाए यह सब की जानकारी कंट्रोल रूम में आती रहेगी। सभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिग स्टेशन को जोड़ा जाएगा।

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